शहरों में ई-अस्पताल, गाँवों में डॉक्टरों का अकाल

Darakhshan Quadir SiddiquiDarakhshan Quadir Siddiqui   8 Feb 2017 2:25 PM GMT

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शहरों में ई-अस्पताल, गाँवों में डॉक्टरों का अकालमोहनलालगंज पीएचसी में डॉक्टर का इंतजार करते मरीज। 

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। एक ओर स्वास्थ्य विभाग राजधानी के सरकारी अस्पतालों को ई-अस्पताल बनाने की तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ गाँवों के अस्पतालों में डॉक्टर भी नहीं पहुंच रहे हैं।

जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी. दूर मोहनलालगंज ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में इलाज कराने आईं बिराहिम गाँव की समीक्षा शुक्ला (45 वर्ष) बताती हैं, “मेरे लड़के के सिर में कई दिनों से दर्द हो रहा था, दो दिनों से अस्पताल आ रही हूं, लेकिन कोई डॉक्टर ही नहीं मिलते हैं। हर दिन बिना दिखाए लौटना पड़ता है।”

राजधानी के सिविल, बलरामपुर, डफरिन और लोहिया अस्पताल को अगले महीने मार्च में ई-हॉस्पिटल बनाने की तैयारी चल रही है। यहां आने वाले मरीजों को सारी सुविधाएं ऑनलाइन मिलेंगी। इतना ही नहीं पर्चे से लेकर जांच तक सारी सुविधाएं ऑनलाइन होंगी और मरीज घर बैठे रिपोर्ट भी ऑनलाइन देख सकेंगे। वहीं दूसरी ओर गाँव में लोगों को प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल रहा है।

मार्च तक बलरामपुर, डफरिन और सिविल को ई-हॉस्पिटल बना दिया जाएगा। ई-हॉस्पिटल हो जाने के बाद यहां आने वाले मरीजों का रजिस्ट्रेशन से लेकर जांच की रिपोर्ट तक ऑनलाइन मिलेगी।
सविता भट्ट, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, डफरिन अस्पताल

साल 2016 में आई वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है। प्रदेश में 3497 के मुकाबले 2209 डॉक्टर हैं। वर्तमान में 20521 स्वास्थ्य पेशेवर सब सेंटर पर उपलब्ध हैं जबकि 31200 की जरूरत है।

मोहनलालगंज सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक केपी त्रिपाठी डॉक्टरों की कमी के बारे में बताते हैं, “हमारे यहां डॉक्टर ही नहीं हैं हमारे यहां से ही डॉक्टरों को पीएचसी पर भी भेजा जाता है, यहां एएनएम और लैब टेक्निशियन तक की कमी है। हमने सीएमओ को पत्र लिखा है, कि वह जल्द ही हमें और हेल्थ वर्कर उपलब्ध कराएं।”

डफरिन जल्द ही बनेगा ई-अस्पताल

राजधानी का वीरांगना अवंतीबाई महिला अस्पताल (डफरिन) जल्द ही ई-अस्पताल की श्रेणी में आने वाला है। अस्पताल की ओपीडी से लेकर आइपीडी तक में सारी व्यवस्था ऑनलाइन हो जाएंगी। यहां तक कि मरीज घर बैठे अपने मनपसंद डॉक्टर की ओपीडी भी देख सकेंगे। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की योजना में लोहिया, बलरामपुर और सिविल के बाद अब डफरिन अस्पताल प्रदेश का पहला महिला अस्पताल होगा, जहां पूरे अस्पताल में ऑनलाइन व्यवस्था शुरू होगी।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत अस्पताल को डिजिटिलाइज किया जा रहा है। अस्पताल में बीएसएनएल का इंटरनेट कनेक्शन लगाया जाएगा। इससे पूरे अस्पताल की व्यवस्था सेंट्रालाइज हो जाएगी।

ओपीडी से लेकर बिलिंग तक होगी ऑनलाइन

प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ.सविता भट्ट ने बताया कि पहले चरण में यह सुविधा ओपीडी, रजिस्ट्रेशन कांउटर, इंडोर में शुरू की जाएगी। इसमें मरीज के पर्चे से लेकर अस्पताल के बिल तक कि व्यवस्था ऑनलाइन की जाएगी। इससे मरीज के सारे डाटा ऑनलाइन हो जाएंगे। एक मरीज का एक ही रजिस्ट्रेशन नंबर होगा जो कि सब जगह काम करेगा।

पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी को भी जोड़ा जाएगा

अस्पताल की सीएमएस डॉ.साधना सक्सेना ने बताया कि अस्पताल में पैथोलॉजी में ऑनलाइन प्रोसिजर पहले से ही शुरू हो गया है। बाल रोग विभाग हो या पर्चा काउंटर, सभी जगह कम्प्यूटर और सिस्टम के द्वारा ही काम किया जा रहा है, लेकिन अभी तक यह सभी सिस्टम अगल-अलग काम कर रहे थे। ई-अस्पताल के अंर्तगत सभी सिस्टम इंटरकनेक्टेड हो जाएंगे, जिससे मरीजों से लेकर अस्पताल की सारी जानकारी ऑनलाइन हो जाएगी।

डॉक्टरों का भी होगा रिकार्ड

डॉ. भट्ट ने बताया कि ऑनलाइन सिस्टम आने के बाद डॉक्टरों का भी रिकार्ड मैंनटेन होगा। इससे कौन डॉक्टर कितने मरीज देख रहा है, सबकी जानकारी मिल जाएगी। फार्मेसी में दवाओं के डाटा भी ऑनलाइन हो जाएंगे। मरीजों की भर्ती से लेकर डिस्चार्ज तक सारे डाटा ऑनलाइन हो जाएंगे।

ई-अस्पताल पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। पहले ब्राडबैंड से गैप एनालिसिस किया जाएगा। योजना में सबसे पहले ओपीडी और आइपीडी को कवर किया जाएगा।
डॉ.सविता भट्ट, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, अवंतीबाई महिला अस्पताल

‘मेरा हॉस्पिटल’ से भी जुड़ेगा अस्पताल

डॉ. भट्ट ने बताया कि योजना में आगे चलकर ई-अस्पताल ‘मेरा हॉस्पिटल’ अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट पर जुड़ जाएगी। इससे सभी हॉस्पिटल इंटरकनेक्टेड हो जाएंगे। इसमें मरीजों को रेफर करने पर सारी जानकारी ऑनलाइन मिल जाएगी। इससे रेफरल सिस्टम को भी मजबूती मिलेगी।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

       

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