स्वास्थ्य विभाग की बेहतरी के लिए जरूरी अच्छी शिक्षा
Deepanshu Mishra 1 April 2017 4:39 PM GMT
दीपांशू मिश्रा ,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। “जिस तरह से जब तक फैक्ट्री कमजोर होगी, तब तक माल अच्छा नहीं मिलेगा, इसी प्रकार जो मेडिकल फैक्ट्री, मेडिकल विश्वविद्यालय और मेडिकल के जो भी संस्थान हैं, उन्हें बहुत मजबूत करने की आवश्यकता है। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए केजीएमयू में हर वो कोर्स करवाया जाता है, जो दुनिया में चल रहे हैं।” यह कहना है किंग जार्ज मेडिकल कालेज, लखनऊ के उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वेद प्रकाश का।
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प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा के बारे में डॉ. वेद प्रकाश ने बताते हैं, “इमरजेंसी और ट्रॉमा के केस से निपटने के लिए अच्छे कोर्स करवाए जाते हैं। यहां से प्रशिक्षण के बाद जहां भी ट्रॉमा खुलेंगे, वहां ये काफी काम आएंगे।” प्रदेश में मेडिकल कालेजों में शिक्षकों की कमी के बारे में वह आगे बताते हैं,
“प्रदेश में जितने भी मेडिकल के संसाधन और साधन हैं, उनको ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए। उस स्टैण्डर्ड को बढ़ाने के लिए कम से कम जो मिनिमम मांग है, उसे पूरी की जाए। शिक्षक की पोस्ट तो हैं, लेकिन शिक्षक मौजूद नहीं होते हैं। अच्छे शिक्षकों को उपलब्ध करवाया जाए। इस दिशा में कार्य करना जरुरी है। केजीएमयू इस सबके लिए आगे बढ़ रहा है। मेरे मनाना है कि प्रदेश के समस्त मेडिकल संस्थानों को केजीएमयू से जोड़ देना चाहिए।”
सबको मिले अच्छे से अच्छा इलाज
हमने बार-बार अनुरोध किया है कि जो देश में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति है, उसमें जीडीपी का क्या खर्च हम कर रहे हैं। इस पर एक बार सोचने की आवश्यकता है, एक राजनैतिक बिल की आवश्यकता है। इस तरफ सोच बढ़ाने की आवश्यकता है कि हमें जीडीपी का कितना पैसा स्वास्थ्य पर खर्च करना चाहिए।
जहां अन्य प्रदेशों में स्वास्थ्य फंड दो डिजिट में है, वही यहां पर दो प्रतिशत है जो कि बहुत कम है। राजनैतिक पार्टियों को रोटी कपड़ा और मकान से हटकर स्वास्थ्य पर भी सोचना चाहिये। अच्छे से अच्छा इलाज सबको मिलना चाहिए।
अगर कोई मरीज गोरखपुर पूर्वांचल और कई अन्य जगहों से आ रहा है तो उसे यहां तक आने की जरुरत ना पड़े। हर जगह के मेडिकल कालेज की व्यवस्था अच्छी करवा देनी चाहिए कि बाहर के मरीजों को वहीं पर इलाज उपलब्ध हो जाए। ऐसे में मरीजों के सामने अस्पताल में भर्ती न किए जाने की शिकायतें भी कम होगी।डॉ. वेद प्रकाश, उप चिकित्सा अधीक्षक, केजीएमयू
ताकि अधिकारी न हो चिड़चिड़े
असल में अधिकारियों के ऊपर मरीजों का दबाव होता है। जिसके कारण अधिकारी भी थोड़े चिड़चिड़े हो गये हैं, हम प्रयास कर रहे हैं कि अधिकारियों के बातचीत में सुधार आये और इसके साथ साथ लोगों को भी अपने आप में सुधार लाना चाहिए।
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