छुट्टा जानवर बनेंगे चुनावी मुद्दा, ग्रामीणों ने दी चुनाव बहिष्कार की धमकी

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छुट्टा जानवर बनेंगे चुनावी मुद्दा, ग्रामीणों ने दी चुनाव बहिष्कार की धमकीदेवां समेत बाराबंकी के कई इलाकों के ग्रामीण छुट्टा गाय और साड़ों से परेशान।

अरुण मिश्रा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

विशुनपुर (बाराबंकी)। कभी किसानों की रीढ़ माने जाने वाले जानवर आज उन्हीं के लिए मुसीबत बने हैं। हालात यह हैं की गांवों घूम रहे सांड, बैल और छुट्टा गायों के झुंड किसानों की फसलें चौपट कर रहे हैं। बाराबंकी में देवां इलाके के लोग इतने परेशान हो गए हैं कि वो छुट्टा जानवरों के मुद्दे को इस बार चुनावी मुद्दा बनाने वाले हैं। जिले के दूसरे इलाकों में भी लोग परेशान हैं।

देवा में कई गांवों के किसानों का कहना है कि सभी पार्टियों के प्रत्याशी दुनियाभर के तमाम बातें कर रहे हैं लेकिन हमारा सिर दर्द बने इन पशुओं की कोई बात नहीं करता है। इनके लिए कांजी हाउस या इऩ्हें पकड़कर बाहर भेजने का कुछ इंतजाम किया जाए वरना हम लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे। क्षेत्र के ढिढोरा, सलारपुर, पवैय्याबाद, मुन्नूपुरवा, विशुनपुर सहित कई गाँवों में छुट्टा जानवरों की भरमार है। दर्जनों के झुंड में घूमते यह जानवर किसानों की फसलों के दुश्मन बने हैं। किसान इस सर्दी में दिन-रात रखवाली करते हैं और मौका मिलते ही ये फसल बर्बाद कर देते हैं।

पण्डितपुर निवासी रामशंकर तिवारी कहते हैं, “छुट्टा जानवरों से खेतों की रखवाली करना किसानों के लिए चुनौती बन गया है। हाल यह है कि घर के एक दो सदस्य दिन भर इन झुंडों को खेतों से खदेड़ने का काम करते हैं। वो कहते हैं पार्टियों को इस बारे में सोचना चाहिए।” वहीं छुट्टा जानवरों और प्रत्याशियों की उदासीनता से नाराज राम शंकर चुनाव में मतदान के बहिष्कार की भी बात कहते हैं। गांव के ललित तिवारी, विनोद तिवारी सहित पूरे मजरे के किसान छुट्टा जानवरों से हो रहे नुकसान से बेहाल हैं।

पिछली फसल छुट्टा जानवर हमारा पूरा गेहूं चर गए थे, बाद में मुझे जोतकर सरसों बोनी पड़ी थी। तो मेरे लिए इलाके का सबसे बड़ा मुद्दा यही हैं।
अशोक कुमार, विशुनपुर निवासी

छुट्टा जानवरों से पीड़ित मुन्नूपुरवा निवासी करुणेश वर्मा, सिसवारा निवासी राकेश मिश्रा व रामकेत सहित क्षेत्र के अन्य किसानों का कहना है कि कई सालों से किसान बर्बादी झेल रहे हैं। अब छुट्टा जानवर एक नई मुसीबत बनकर खड़े हैं। प्रशासन की ओर से अगर इनसे निजात के उपाय न खोजे गए तो दिन रात मेहनत के बावजूद किसान फिर बदहाल हो जायेंगे।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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