7 घंटे में परीक्षक नहीं जांच सके 25 से ज्यादा यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियां, कैसे पूरा होगा मूल्यांकन का काम?

Meenal TingalMeenal Tingal   28 April 2017 11:26 AM GMT

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7 घंटे में परीक्षक नहीं जांच सके 25 से ज्यादा यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियां, कैसे पूरा होगा मूल्यांकन का काम?यूपी में सवा लाख परीक्षकों को जांचनी है तीन करोड़ कापियां।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। एक शिक्षक, 7 घंटे और 50 कॉपियां, यह अनुपात है यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन कार्य का। गुरुवार को यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियां जांचने का कार्य शुरू हो गया। एक परीक्षक को सीमित समय में हाईस्कूल की 50 और इंटरमीडिएट की 45 कॉपियों को जांचने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस जिम्मेदारी को निभाना शिक्षकों के लिए टेढ़ी खीर साबित होने लगा है।

मूल्यांकन कार्य के पहले दिन लखनऊ के चार मूल्यांकन केन्द्रों पर किए गए रिएलिटी टेस्ट के दौरान पाया गया कि एक शिक्षक निर्धारित घंटों में लगभग 22-25 कापियां ही जांच सका। मूल्यांकन कार्य के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में 274 मूल्यांकन केन्द्र बनाए गए हैं, जिसमें लगभग सवा लाख परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है जिनको लगभग तीन करोड़ कापियों को जांचने की जिम्मेदारी मात्र 15 दिनों में निभानी है।

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राजकीय हुसैनाबाद इंटर कॉलेज में साइंस की कापियां जांच रहे गांधी आदर्श हाईस्कूल अमांवा के शिक्षक के.पी. वर्मा कहते हैं, “मूल्यांकन का काम सुबह 10 बजे से शुरू हुआ है जो 5 बजे तक जारी रहा। हाईस्कूलकी साइंस की कापियां जांच रहा हूं। बहुत कोशिश करने के बावजूद आज 22 कापियां जांच सका हूं। पहला दिन था इसलिए कल से और ज्यादा जांचने की कोशिश करूंगा। लेकिन एक दिन में 50 कापियां नहीं जांची जा सकती हैं। इसके टारगेट को कम करना चाहिए।”

कापियां जांच रहे शिक्षक इन्द्रप्रकाश कहते हैं, “मूल्यांकन के काम में हर साल शिक्षकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हमेशा ही पूरे संख्या में परीक्षक मूल्यांकन के लिए नहीं पहुंचते हैं। इसके बाद कापियां जांच रहे उन परीक्षकों का बोझ बढ़ा दिया जाता है जो पहले से मूल्यांकन जैसा मेहनत का काम कर रहे होते हैं। इससे परीक्षार्थियों के साथ न्याय नहीं हो पाता।” उन्होंने आगे बताया, “परीक्षक संख्या से ज्यादा कापियां जांचते हुए ऊब महसूस करने लगता है। वह सवाल जवाब ठीक से पढ़ नहीं पाता है। इसलिए रिज्ल्ट भले ही पन्द्रह दिन देर से निकले लेकिन मूल्यांकन सही तरह से होना चाहिए और मूल्यांकन कार्य के दिन बढ़ाए जाने चाहिए।”

कॉल्वेन ताल्लुकेदार्स इंटर कॉलेज के शिक्षक एस.के.एस राठौर कहते हैं, “हमेशा ऐसा होता है कि मूल्यांकन कार्य जब शुरू होता है तो एक परीक्षक को सुबह 10 से 5 बजे तक कापियां जांचनी होती हैं। हमेशा ही परीक्षकों की कमी कक्ष निरीक्षकों की तरह बनी ही रहती है तो उसके बाद समय दो घंटे बढ़ाकर सुबह 9 से 5 बजे, फिर दो घंटे और बढ़ाकर सुबह 8 से शाम 6 बजे तक का कर दिया जाता है।” उनका कहना है कि समय के साथ कॉपियों की संख्या बढ़ती रहती है और परीक्षक बस औपचारिकता मात्र करता है। इससे परीक्षा में बैठे मेहनती बच्चों के साथ इंसाफ नहीं हो पाता।

पिछले साल शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य का नहीं मिला भुगतान

मूल्यांकन कार्य के तहत शिक्षकों को हाईस्कूल की एक कॉपी जांचने पर आठ और इंटरमीडिएट की एक कॉपी जांचने पर 10 रुपये का भुगतान किया जाता है। हालांकि पिछले साल का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ. आरपी राय ने कहा, “पिछले वर्ष 2016 के शिक्षकों ने मूल्यांकन किया था, उनका भुगतान शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते नहीं हुआ है।

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