सूखा की राहत राशि में भी सेंधमारी

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सूखा की राहत राशि में भी सेंधमारीकिसानों को नहीं मिल रहा राहतराशि का फायदा।

अरविंद सिंह परमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

महरौनी/ललितपुर। सूखा, अकाल, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, बेमौसम बरसात का कहर लगातार बुंदेलखंड पर पड़ा। शासन ने आपदा प्रबंधन (सूखा) राहत राशि के नाम किसानों को मदद पहुंचाने का काम किया। परिणामस्वरूप किसानों को पात्रता के आधार पर आवंटित करने की व्यवस्था है। इसके विपरीत राहत राशि में राजस्व अधिकारी, जनप्रतिनिधि सेंधमारी कर बंदरबांट कर रहे हैं।

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जनपद से 52 किलोमीटर पूर्व दिशा महरौनी में महरौनी राजस्व ग्राम अगोरा गाँव के आशाराम (20 वर्ष) ने बताया, “दो एकड़ जमीन के बदले एक बार पूर्व में राहत राशि का चेक मिला था। प्रधान ने 31,968 रुपए चेक दिया और कहा था, सीसी रोड का पैसा तुम्हारे खाते में डाल रहा हूं, जिसके बदले एक हजार दूंगा। बाकी रुपया मुझे निकालकर दे देना। मैंने चेक बैंक मैं जमा किया। फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर प्रधान को लगा, कहीं मामला खुल ना जाए। प्रधान मुझे बैंक ले गया और जमा चेक वापस करवाकर फाड़ दिया।”

राजस्व अधिकारी और ग्राम प्रधान की मिलीभगत से कमीशन खोरी के चलते राहत राशि की बंदरबांट की गई। इसी गाँव के प्रताप सिंह (42) वर्ष बताते हैं, “सभी को राहत राशि के चेक मिले थे, लेकिन गाँव के 43 लघू, सीमान्त व 38 बड़े किसान को अभी तक राहत राशि नहीं मिली। गाँव के भूमिहीन आशाराम, संतोष सेन, मनसुख सहित छोटे किसानों को वितरण मानकों में अनदेखा किया। 31-32 हजार के राहत राशि के चेक थमा दिए। इसके बदले किसानों को 1-2 हजार रुपयों का कमीशन प्रधान द्वारा लिया गया। बाकी रुपया प्रधान और राजस्व अधिकारी ने रख लिया।”

इसी गाँव के अश्वनी कुमार श्रीवास्तव (52 वर्ष) बताते हैं, “राहत राशि के 18 दिसंबर 2015 को चेक बांटे गए थे। इन्हीं चेकों को 10 फरवरी 2017 को रिन्यूअल करवाने के समय तीन हजार के चेकों को तीस हजार का दिखाकर प्रधान व राजस्व अधिकारी की मिलीभगत से बंदरबांट करने की रणनीति से काम हुआ। पात्र कृषक वंचित रह गए।”

इसी गाँव के कमतू (52) वर्ष बताते हैं, “आठ सदस्यों के परिवार में पौने तीन एकड़ भूमि है। सूखा होने से अन्न पैदा नहीं हुआ। घर के लोग बाहर मजदूरी करने गए थे। अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ।” वे आगे बताते हैं, “आपदा प्रबंधन का रूपया तहसीलदार के खाते में आता है। तहसीलदार द्वारा चैकों पर हस्ताक्षर करके कृषकों को दिया जाता है। जखौरा गाँव में किसी को एक भी बार राहत राशि नहीं मिली। कईयों को दो-दो बार नियमों के विपरीत कमीशन खोरी के चलते बांट दी। क्षेत्र में वितरित राहत राशियों की उच्च स्तरीय जांच हो जाए तो सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का खुलासा होगा।”

तहसीलदार के खाते में 29 लोगों ने लौटा दी राहत राशि

जब भर्जी चेकों के फर्जीवाड़े की खबर लगी तो फर्जी चेकों की राशि महरौनी तहसील राजस्व ग्राम अगौरा के 29 कृषकों ने तहसीलदार के खाते में राशि वापस वापस कर दी। इसमें पानकुवर, हल्ले, सुरेश, भगवानदास, रेखा, धनीराम, भरोसे, छोटी, राधा, लक्ष्मन, मनसुख, धीरज, राजपाल, दुरजू, चंदन सिंह, आशाराम, बालकिशन, हीरा, पुन्ना तुलसी, पूरन, लखनलाल, ऊषा, पूरन आदि हैं।

21 चेकों पर ओवर राइटिंग होने पर बैंक ने किए वापस

तहसीलदार की लिखित कार्यवाही पर बैंक ने छानबीन कर ओवर राइटिंग वाले 21 चेकों को तहसीलदार कार्यालय को वापस कर दिए। वापस किए गए चेकों में खन्सुवा पुत्र सुनुवा, सुनुवा पुत्र मुलू, ग्राम लुहर्रा, मुन्नी पत्नी वीरन, संध्या पत्नी हल्के राम ग्राम पडवा, ग्राम बम्होरी बहादुर सिंह के छक्कीलाल, झगडू, अकलबाई, पुरूषोत्तम पुत्र लटकन, चित्ता पुत्र हल्लू, बुद्दा ग्राम रनगाँव, नत्थू पुत्र रल्लिया ग्राम दिगोनियां हैं।

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