सहारनपुर जिले का कंपनी बाग किसानों के लिए बनेगा प्रशिक्षण केंद्र, नई तकनीकों की दी जाएगी जानकारी

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सहारनपुर जिले का कंपनी बाग किसानों के लिए बनेगा प्रशिक्षण केंद्र, नई तकनीकों की दी जाएगी जानकारीमुगलों के जमाने में शाही आनन्द के नाम से जाना जाने वाला सहारनपुर जिले का कंपनी बाग जल्द ही किसानों के लिए प्रशिक्षण केंद्र बनेगा।

सुधा पाल ,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। मुगलों के जमाने में शाही आनन्द के नाम से जाना जाने वाला सहारनपुर जिले का कंपनी बाग जल्द ही किसानों के लिए प्रशिक्षण केंद्र बनेगा। इसके लिए पहले चरण में तीन करोड़ का प्रस्ताव रखा गया है। लगभग 154 एकड़ में बनने वाला यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस जिले के किसानों को बागवानी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बनाया जा रहा है। इससे किसानों को नई तकनीकों की जानकारी और प्रशिक्षण देकर उन्हें उन्नत खेती के गुर सिखाए जाएंगे।

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जिले में किसान सब्जियों के साथ फलों को भी अपनी फसलों में शामिल कर रहे हैं। जिले की जलवायु के मुताबिक होने वाली बागवानी फसलें किसानों को अच्छा मुनाफा दिला रही हैं। इस तरह किसानों को बागवानी के लिए बढ़ावा देने और उनके उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए कंपनी बाग को इस सेंटर में बदला जा रहा है। यूपी उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक एसपी जोशी बताते हैं, “पश्चिम में जलवायु के हिसाब से किसान भी मेहनत से अच्छा उत्पादन कर रहें हैं। उप उष्णकटिबंधीय फसलों के लिए यह क्षेत्र अच्छा है। फलों का भी यहां अच्छा उत्पादन है। यही वजह है कि यहां यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की जरूरत पड़ रही है।”

लगभग दो महीने पहले नवंबर में सेंटर बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था। बागवानी फसलों के साथ यहां औषधीय पौधों के लिए भी किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। मशरूम उत्पादन और मधुमक्खी पालन को और कैसे बेहतर बनाएं, इस बारे में भी किसानों को जानकारी दी जाएगी।
राजेश प्रसाद, संयुक्त निदेशक , द्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, सहारनपुर

पौधों को विभाग से खरीदता हूं। फलों की खेती भी है बाकी सब्जियों में मटर बोई थी 10 बीघे में। प्रशिक्षण अगर दिया जाएगा तो किसानों का बेहतर विकास होगा और उन्हें आज के समय के मुताबिक खेती की पूरी जानकारी मिल पाएगी।
हरीश चन्द्र, नंगली (मेरठ)

राजेश प्रसाद ने बताया कि जिले में उन्नत खेती के लिए पॉलीहाउस की उपयोगिता किसानों को बताई जाएगी। इसके साथ ही सेंटर में भी पॉलीहाउस बनवाया जाएगा। ये पॉलीहाउस 500 मीटर के बनवाए जाएंगे, जिसमें कृषि विशेषज्ञ और अधिकारी नर्सरी उगाकर किसानों को दिखाएंगे कि किस तरह से इसका उचित उपयोग किया जा सकता है। किसानों को बताया जाएगा कि वे पॉलीहाउस में पारंपरिक फसलों के अलावा शिमला मिर्च की भी खेती कर सकते हैं। इस सेंटर में प्रयोगशाला भी बनाई जाएगी, जिसमें बीजों की गुणवत्ता को सुधारने पर काम किया जाएगा। जिले के किसान ज्यादातर करेला, कद्दू, पत्तागोभी, फूलगोभी, लौकी और खीरे की खेती करते हैं। पॉलीहाउस की जानकारी होने से किसान अन्य आधुनिक फसलों से भी उत्पादन ले सकते हैं।

पश्चिम में जलवायु के हिसाब से किसान भी मेहनत से अच्छा उत्पादन कर रहें हैं। उप उष्णकटिबंधीय फसलों के लिए यह क्षेत्र अच्छा है। फलों का भी यहां अच्छा उत्पादन है। यही वजह है कि यहां यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की जरूरत पड़ रही है।
एसपी जोशी, निदेशक, यूपी उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग

अन्य जिलों के किसान भी उठा सकते हैं लाभ

संयुक्त निदेशक राजेश प्रसाद बताते हैं, “सहारनपुर के किसानों के साथ प्रदेश के अन्य जिलों के किसान भी इस प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र का लाभ उठा सकेंगे। अभी तक मेरठ, मुजफ्फरनगर, देहरादून, मुरादाबाद, पालीभीत आदि जगहों से किसान विभाग से पौधे ले जाते हैं। यहां की प्रयोगशाला से उन्न्त किस्म के बीजों से पौधे तैयार किए जाएंगे और किसानों को उचित मूल्य पर दिए जाएंगे। इस तरह बीजों की अच्छी गुणवत्ता से किसान अपने उत्पादन में भी बढ़ोतरी कर सकेंगे। इसके अलावा यहां कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा शोधकार्य भी किए जाएंगे, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा मिल सके।

    

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