आधार कार्ड बनवाने के ग्रामीणों से 50 से 100 रुपए तक किए जा रहे वसूल

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आधार कार्ड बनवाने के ग्रामीणों से 50 से 100 रुपए तक किए जा रहे वसूलऑनलाइन पंजीकरण योजनाओं को जनसेवा केंद्र संचालकों ने अवैध वसूली का जरिया बना लिया है।

अरुण मिश्रा

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

विशुनपुर (बाराबंकी)। डिजिटल इंडिया को मूर्तरूप देने व भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई विभागों की ज्यादातर योजनाएं ऑनलाइन होती जा रही हैं। विभागों की ऑनलाइन पंजीकरण योजनाओं को जनसेवा केंद्र संचालकों ने अवैध वसूली का जरिया बना लिया है।

पंजीकरण के नाम पर ग्रामीणों से निर्धारित दर से दो-तीन गुना अधिक रकम वसूली जा रही है। जिससे ग्रामीण ऑनलाइन आवेदन के चक्कर में अवैध वसूली के शिकार हो रहे हैं। पेंशन, कार्ड, छात्रवृत्ति, जाति, आय, बीज, कृषियंत्र जैसी दर्जनों योजनाओं के लाभ के लिए ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य है। ग्रामीणों की सुविधा के लिए लगभग हर ग्राम पंचायत में जनसेवा केंद्र खोले गए हैं। यहां आधार कार्ड का बॉयोमिट्रिक अपडेशन शुल्क 15 रुपए तथा अन्य ऑनलाइन पंजीकरण का शुल्क 20 रुपए निर्धारित है।

लेकिन हालात यह है कि आधार कार्ड बनवाने के 50 से 100 रुपए और अन्य ऑनलाइन आवेदन के लिए 50 रुपए खुलेआम वसूले जा रहे हैं। ग्रामीणों को रसीद भी नहीं दी जाती और न ही निर्धारित मूल्य का कहीं उल्लेख किया जाता है, जिसके चलते अधिकतर जनसेवा केंद्र अवैध वसूली के अड्डे बन गए हैं।

हमें अपनी पत्नी का आधारकार्ड बनवाना था। एक केंद्र संचालक 100 व दूसरे केंद्र संचालक ने 50 रुपए मांगे। विशुनपुर स्थित एक जनसेवा केंद्र पर 50 देकर आधारकार्ड बनवाया। आधारकार्ड में संसोधन करवाने के नाम पर हमसे 100 वसूल किया गया।
अंकित चतुर्वेदी, मोहनपुर निवासी

सफीपुर के किसान विनय सिंह बताते हैं, “अब कई सरकारी योजनाएं ऑनलाइन हो गई हैं, जिससे जनसेवा केंद्र वाले लोगों की मज़बूरी का फायदा उठाकर ज्यादा पैसा वसूल रहे हैं।” बच्छराजमऊ निवासी यसवंत सिंह ने कहा, “मुझे अपने लड़के की नौकरी के लिए ऑनलाइन आवेदन करना था, जिससे केंद्र संचालक ने हमसे 70 रुपए मांगे जो हमें देना पड़ा, जबकि यह सेवा निःशुल्क है।

देवा कस्बे में मामापुर, सिपहिया, देवा की धारापुलिया के पास स्थित जनसेवा केंद्रों के अलावा पड़ोस के कस्बों और गाँवों में स्थित जनसेवा केंद्र भी विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से अवैध वसूली का अड्डा बने हैं।

ग्रामीणों का कहना था कि राशन कार्ड के ऑनलाइन आवेदन में भी कई गुना ज्यादा वसूली की गयी थी लेकिन कोई कार्यवाई न होने से ग्रामीण मजबूरीवश शोषण का शिकार हो रहे हैं। केंद्र संचालक धीरेन्द्र सिंह का कहना है कि फ्रेंचाइजी कम्पनियां आधार कार्ड के पैसों का भुगतान नहीं कर रही हैं, जिससे आधार कार्ड बनाने के लिए लोगों से पैसे लिए जाते हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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