चुनावी जनसभाओं में शिक्षा का मुद्दा भूले प्रत्याशी
Meenal Tingal 16 Feb 2017 3:18 PM GMT
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनैतिक पार्टियां अपनी चुनावी जनसभाओं में तरह-तरह की घोषणाएं कर रही हैं, लेकिन शिक्षा के सम्बन्ध में शायद ही किसी पार्टी ने कोई घोषणा की हो। वह भी तब, जब शिक्षा के गिरते स्तर पर सवाल उठते रहे हों।
“मैम लोग स्कूल से चली जाती हैं, जो दूसरी मैम हैं (शिक्षामित्र), वह ज्यादा पढ़ाती नहीं हैं। इसलिए पापा कहते हैं कि स्कूल जाकर क्या करोगी और घर में काम करो। वो कहते हैं कि पढ़ाई तो होती नहीं है तो स्कूल जाकर समय क्यों खराब करोगी।लखनऊ से लगभग 35 किमी दूर काकोरी के गाँव गोहरामऊ के प्राथमिक विद्यालय के कक्षा 5 में पढ़ने वाली एक छात्रा ने बताया
शिक्षा से संबंधित सैकड़ों नीतियां बनती हैं, लेकिन सरकार इसमें शिक्षकों को हिस्सा नहीं बनाती है। बिना जमीनी हकीकत जाने बस नीतियां बनती रहती हैं ऐसे में बस शिक्षा के क्षेत्र में खानापूर्ति की जाती है। इस बारे में सोचना चाहिये।- शाहिद अली आब्दी, प्रधानाध्यापक, पूर्व माध्यमिक विद्यालय
“कहीं स्कूल नहीं हैं, कहीं स्कूल में शौचालय नहीं हैं, तो कहीं स्कूल की इमारत जर्जर है, लेकिन शिक्षा के गिरते स्तर और व्यवस्था के सुधार पर कोई बात करना नहीं चाहता।ग्राम प्रधान मोहम्मद रिजवान कहते हैं
इस वर्ष ‘असर’ ने प्रदेश के लगभग 2000 स्कूलों में सर्वे किया था। प्रथम संस्था के वार्षिक सर्वे ‘असर’(एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) के अनुसार, यूपी के सरकारी स्कूलों के कक्षा 5 के 24.3 फीसदी बच्चे कक्षा दो का पाठ पढ़ पाते हैं। वहीं कक्षा 5 के केवल 10.4 फीसदी बच्चे ही गणित में भाग का सवाल हल कर पाते हैं। ग्रामीण स्कूलों में सर्वे करने वाली संस्था असर ने यह सर्वे यूपी के 70 जिलों में किया है। सर्वे के मुताबिक कक्षा 8 में सरकारी स्कूलों के 25.5 फीसदी बच्चे ही गणित में भाग का सवाल हल कर पाते हैं, जबकि 2014 में 30.5 फीसदी ऐसे बच्चे थे। वहीं कक्षा 3 के केवल 7.9 फीसदी ही ऐसे बच्चे हैं जो घटाने का सवाल कर पाते हैं।
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