ये कोई कॉन्वेंट स्कूल की प्रयोगशाला नहीं बल्कि सरकारी स्कूल की प्रयोगशाला है

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ये कोई कॉन्वेंट स्कूल की प्रयोगशाला नहीं बल्कि सरकारी स्कूल की प्रयोगशाला हैशाहजहांपुर जिले में निगोही ब्लॉक के बझेड़ा-बझेड़ी गाँव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पिछले पांच वर्षों से कार्यरत सांइस टीचर प्रदीप कुमार ने इस लैब को तैयार किया है।

शाहजहांपुर (निगोही)। फोटो में आप जिस प्रयोगशाला को देख रहे हैं वह किसी प्राइवेट स्कूल की नहीं है बल्कि शाहजहांपुर जिले के एक छोटे से गाँव में स्थित सरकारी स्कूल के अध्यापक प्रदीप कुमार (33 वर्ष) ने बनाई है। साथ ही वह इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों का खर्चा भी खुद उठाते हैं।

जिला मुख्यालय से उत्तर दिशा में लगभग 24 किलोमीटर दूर निगोही ब्लॉक के बझेड़ा-बझेड़ी गाँव के पूर्व माध्यमिक विदयालय में पिछले पांच वर्षों से प्रदीप सांइस टीचर हैं। प्रदीप बताते हैं, ‘प्रैक्टिकल कराने पर बच्चों को जितना समझ में आता है उतना बच्चों को किताबी भाषा में समझाना मुश्किल होता है इसलिए इस लैब को तैयार कर लिया है।’

इस विद्यालय में करीब 125 छात्र-छात्राएं है। प्रदीप बच्चों को इस विज्ञान लैब में प्रतिदिन नए-नए प्रयोग सिखा रहे हैं। पूर्व माध्यमिक विद्यालय में छठी कक्षा में पढ़ने वाली ऋतु कुमारी (12 वर्ष) बताती हैं, ‘रोज लैब में जाना अच्छा लगता है पिछली बार हमने डेनियल सेल और वोल्टीय सेल को बनाना सीखा था। हमारे प्रैक्टिकल भी होते हैं।’

तकनीकी युग में ग्रामीण बच्चों को आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है।

तकनीक के इस युग में ग्रामीण बच्चों को आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। प्रदीप बताते हैं, ‘बच्चों को जब कुछ नया सीखने को मिलता है तो उनकी रुचि भी बढ़ती है इसलिए हमारे स्कूल में बच्चों की उपस्थिति भी अच्छी रहती है। बच्चों को प्रोत्सहित करने के लिए जिलों में जो प्रदर्शनी लगती है उसमे भी बच्चों को भाग दिलवाते है।’

सरकारी स्कूल का अध्यापक आधुनिक तरीकों से सिखा रहे विज्ञान।

बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों में संसाधनों की कमी के कारण बच्चे गणित व विज्ञान जैसे विषयों में निजी स्कूलों के बच्चों के मुकाबले काफी पीछे रह जाते हैं। इस समस्या के निदान के लिए सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत राष्ट्रीय आविष्कार अभियान योजना के तहत 45 हजार रुपए की लागत से जिले के 34 जूनियर स्कूलों में प्रयोगशाला का निर्माण किया जाएगा, जिससे बच्चे प्रयोगों के माध्यम से विज्ञान की जटिलताओं को आसानी से समझ सकेंगे। साथ ही चयनित किए गए इन स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा।

विद्यालय को इस काम के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2014 में प्रदेश स्तर पर विज्ञान प्रदर्शनी हुई थी जिसमें हमारे स्कूल का पहला स्थान था। कई जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी हमारे में स्कूल में निरीक्षण के लिए आ चुके हैं।
प्रदीप कुमार, अध्यापक

प्रदीप आगे बताते हैं, ‘इस प्रयोगशाला को मैंने खुद तैयार किया है। इस पर आने वाला खर्चा मैं खुद उठाता हूं। बच्चों को जो भी प्रयोग सिखाना होता है उसको ब्लैक बोर्ड पर लिख देते हैं उसके साथ आवश्यक साम्रगी भी लिखते हैं जिन बच्चों के पास वो साम्रगी होती है, ले आता है।’

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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