स्कूलों में नहीं बनीं टंकियां, बच्चे बिना हाथ धोए कर रहे भोजन

Neetu SinghNeetu Singh   10 Jan 2017 2:26 PM GMT

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स्कूलों में नहीं बनीं टंकियां, बच्चे बिना हाथ धोए कर रहे भोजनएक ही हैंडपंप पर बच्चे हाथ धोने के लिए करते हैं धक्का-मुक्की। फोटो: विनय गुप्ता

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। स्कूल में लंच की घंटी बजते ही आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली पूजा (12 वर्ष) नल की तरफ तेजी से भागती है लेकिन नल पर लगी लम्बी भीड़ की वजह से उसे आज फिर बिना हाथ धुले ही खाना खाना पड़ता है।

कानपुर नगर से लगभग 35 किलोमीटर दूर शिवराजपुर ब्लॉक में प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक मिलाकर 185 विद्यालय हैं, जिसमे 12,400 बच्चे पढ़ते हैं। इस पूरे ब्लॉक में कहीं भी छह टोटियों वाले न तो नल लगे हैं और न ही हाथ धुलने की कोई सही जगह बनाई गई है। हर स्कूल में इंडिया मारका का एक हैण्ड पम्प लगा है जहां लंच के दौरान सैकड़ों बच्चे हाथ धोने के लिए धक्का-मुक्की करते हैं कुछ हाथ धो पाते हैं और कुछ बिना धोए ही लौट जाते हैं।

सरकार द्वारा “स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय” सितम्बर 2014 में एक अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान का उद्देश्य था कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को साफ़-सफाई के प्रति जागरूक किया जाए। हर स्कूल में पीने के पानी और हाथ धुलने के लिए छह टोटियां बनाई जाएं, जिससे बच्चे गंदगी से होने वाली बीमारियों से बच सकें।

शिवराजपुर ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 100 से ज्यादा बच्चे और प्राथमिक विद्यालय में 150 बच्चे पढ़ते हैं। इन दोनों स्कूल में इंडिया मार्का का एक-एक नल लगा है। 30 मिनट के लंच में एक साथ इतने बच्चे सही से हाथ नहीं धुल पाते हैं।

हाथ धुलने के लिए घंटे भर नल के पास खड़े रहना पड़ता है, लंच करने की जल्दी में बिना हाथ धुले ही खा लेते हैं।
सतेन्द्र (12 वर्ष), छात्र, पूर्व माध्यमिक विद्यालय, शिवराजपुर ब्लॉक

यूनीसेफ द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता की कमी के कारण हर साल दुनिया भर में तीन लाख बच्चों की डायरिया से मौत हो जाती है। शौचालय के इस्तेमाल के बाद और खाना खाने से पहले साबुन से हाथ धोने से डायरिया के मामलों में 40 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है।

हर स्कूल में स्वच्छ पानी की लगनी हैं छह टोटियां

कानपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय, टकटौली, शिवराजपुर की अध्यापिका रेखा गौतम राही बताती हैं, “स्कूल में टोटियां तो नहीं लगी हैं लेकिन लंच से पहले बाल्टी में पानी भरकर और साबुन रख देते हैं। अगर टोटियां लग जाएं तो बच्चों को हाथ धुलने में और आसानी हो जाए।”

लखनऊ में काम कर रही वात्सल्य संस्था के सहायक कार्यक्रम समन्यवक अमन मोहन मिश्रा ने बताया कि उन्होंने लखनऊ के आठ ब्लॉकों के 80 स्कूलों के सर्वे कराया जिसमें 98 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में छह टोटियों वाले नल और हैण्डवाशिंग पॉइंट नहीं बने हैं जबकि दो प्रतिशत स्कूलों में लगी टोटियां टूटी पड़ी हैं।

हाथ न धुलने की वजह से हर साल बीमार होते हैं लाखों बच्चे

बच्चे और उनके माता-पिता शौचालय के बाद और खाना खाने से पहले अगर प्रतिदिन सही ढंग से हाथ धुलने लगें तो आधी मौंतों को रोका जा सकता है।
डॉ. नीलम सिंह, लखनऊ

कैसे संभव होगी योजना

सरकार ने ये नियम तो बना दिया है कि हर स्कूल में छह टोटी और हैण्ड वाशिंग पॉइंट बनाया जाए लेकिन ज्यादातर सरकारी स्कूलों में बिजली की उचित व्यवस्था न होने के कारण इस योजना का सही से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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