फीकी हो रही औरैया के मेले की रौनक 

Neetu SinghNeetu Singh   27 Feb 2017 3:53 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
फीकी हो रही औरैया   के मेले की रौनक दिलों को जोड़ने वाला मेला, ग्रामीण मनोरंजन का प्लेटफॉर्म की चमक इस बार चुनाव की वजह से फीकी है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

औरैया। दिलों को जोड़ने वाला मेला, ग्रामीण मनोरंजन का प्लेटफॉर्म की चमक इस बार चुनाव की वजह से फीकी है। हर वर्ष की तरह औरैया में 45 दिनों तक लगने वाला मेला लगा तो है, लेकिन चुनाव की वजह से न ही ज्यादा दुकानें लगी हैं और न ही लोग आ रहे हैं।

औरैया जिले में पिछले 20 वर्षों से रामलीला मैदान में मेले का आयोजन होता है, इस मेले में जिले के व्यापारियों के साथ ही दूसरे जिलों के व्यापारी भी आते हैं। पूरे महीने सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ ये नुमाइश यहां के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है लेकिन इस बार चुनाव की वजह से साउंड न लगने से सांस्कृतिक गतिविधियां नहीं हो पा रही हैं जिससे लोगों का आवागमन कम हो रहा है।

मेले में खजले की दुकान लगाने वाले बबलू कुमार वर्मा (37 वर्ष) बताते हैं, ‘पिछले पांच वर्षों से खजला भंडार लगा रहा हूं, हर दिन 10-12 हजार की बिक्री हो जाती थी लेकिन इस बार दिन में दो-तीन हजार से ज्यादा बिक्री नहीं हो पा रही है।’ नुमाइश में आने वाला हर कोई खजला (खाने वाला खाजा) लेकर ज़रूर जाता है, खजला इस मेले की सबसे खास चीज मानी जाती है। जनवरी के आखिरी सप्ताह में शुरू होने वाली ये नुमाइश मार्च के पहले सप्ताह तक चलती है। इस नुमाइश के आसपास के लोग पूरे साल इसका इंतजार करते हैं।

‘स्टॉल लगाने को पैसा निकल आए बड़ी बात

’मेले में गन शूटिंग की दुकान लगाने वाले कानपुर के अतीक अहमद (40 वर्ष) बताते हैं, ‘वर्षों से लगने वाली नुमाइश के लिए अब तक कोई स्थायी जगह नहीं मिली है, जो जगह हमें अपने स्टॉल लगाने के लिए मिलती है वो भी बहुत महंगी होती है। इस बार तो पैसा ही निकल आए बहुत बड़ी बात है।’ इस नुमाइश में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सर्कस, मौत का कुंआ, झूले, डांस पार्टियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती हैं। खाने में मुख्य रूप से खजला, आइसक्रीम, नान खटाई ,पॉप कॉर्न लोगों को खूब भाता है।

चुनाव समाप्त होने का इंतजार

इटावा जिले के बंटी कुमार पॉप कॉर्न की दुकान लगाते हैं। बंटी बताते हैं, ‘पिछले तीन साल से यहां आते हैं, हर दिन 2000-3000 रुपए आसानी से कमा लेते हैं, इस बार चुनाव की वजह से भीड़भाड़ कम है, अभी हजार बारह सौ कमा पा रहे हैं।’ दूर-दूर से आए दुकानदार अब चुनाव के समाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि आचार संहिता समाप्त होते ही सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। बिधूना ब्लॉक से नुमाइश देखने आई सुनीता देवी बताती है, ‘इस बार नुमाइश में सन्नाटा पसरा है, अभी सर्कस और मौत का कुंआ भी नही लगा जिससे बच्चे कम आ रहे हैं।’ वो आगे बताती हैं, ‘सब वोट मांगने में लगे हैं, चुनाव जब खत्म हो जाएगा तो फुर्सत में सब आएंगे।’

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).Rural Entertainment

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.