चुनावी सरगर्मी बढ़ी, सुलगने लगीं कच्ची शराब की भटि्ठयां

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चुनावी सरगर्मी बढ़ी, सुलगने लगीं कच्ची शराब की भटि्ठयांअवैध रुप से बनाई जाने वाली शराब में होती हैं कई जानलेवा केमिकल।

राजीव शुक्ला (स्वयं डेस्क)

कानपुर। चुनाव करीब आते ही गाँवों में शराब की अवैध भट्ठियां धधकने लगी हैं। कच्ची शराब बनाने के लिए बदनाम गाँवों में चोरी-चुपके फिर से शराब माफिया सक्रिय हो गए हैं। कानपुर के गाँवों में बनने वाली कच्ची शराब उन्नाव और फतेहपुर तक जाती हैं। यह सस्ती शराब होती है इसीलिए इसकी मांग भी ज्यादा होती है। ऐसे में इनकी मांग बढ़ गई है। दरअसल, कच्ची शराब को बनाते समय किसी भी मानक का प्रयोग नहीं किया जाता है। ऐसे में कई बार यह लोगों की जान भी ले लेती हैं। कोई दुर्घटना हो जाने पर आबकारी विभाग और पुलिस धरपकड़ तेज करते हुए शराब की भट्ठियां को नष्ट कर देती है, मगर कुछ दिनों के बाद शराब माफिया फिर से अपने कारोबार में जुट जाते हैं। वे नए सिरे से भट्ठियां बनवाकर उनमें कच्ची शराब बनाने लगते हैं।

बिधनू के गाँव हरबसपुर में कच्ची शराब बनाने वाले 35 वर्षीय संतोष कुमार ने बताया, “हम लोगों का तो 365 दिनों का यही काम है। चुनाव में मांग बहुत बढ़ गई है। हम लोग महुवे की शराब बनाते हैं। लोग घर आकर ही शराब ले जाते हैं। कभी-कभी पीने के लिए जगह भी उपलब्ध करा देते हैं। चूंकि यह देखने में पानी जैसी होती है इसलिए लाने ले जाने में कोई समस्या भी नहीं होती है। कोल्डड्रिंक की प्लास्टिक वाली बोतल में भरकर हम इसे पीने वालों तक पहुंचा देते हैं।” संतोष कहते हैं, “पुलिस को कब आना है। यह भी हमें पता होता है।”

वहीं, मझावन निवासी कच्ची शराब विक्रेता विनोद (28 वर्ष) बताते हैं, “हम अपने घर से ही शराब बेचते हैं। साथ ही, लोग जहां मंगाते हैं, वहां पहुंचाते भी हैं। इसके लिए कुछ अलग रुपया लिया जाता है। हालांकि, जिनसे जान-पहचान होती है उन्हीं को हम सप्लाई देते हैं।” वे बताते हैं, “कच्ची शराब की कीमत डिग्री के हिसाब से तय होती है। एक नंबर की बोतल 250 रुपए में और दो नंबर की बोतल 150 रुपए में मिलती है।

250 एमएल का पाउच 50 रुपए में बिकता है। लेकिन, ज्यादा लेने पर 20 लीटर का जरिकेन भी दिया जाता है। इन दिनों जरिकेन की बिक्री ज्यादा हो रही है।” शराब विक्रेताओं ने बताया कि मांग बढ़ने के साथ ही इसका दाम भी बढ़ता जाएगा। चुनाव में दाम उछाल मारने वाला है।

पुलिस शहर और गाँव में चल रहीं शराब की अवैध भट्ठियों के खिलाफ अभियान चला रही है। कई तस्कर भी धरे गए हैं। जहां भी शराब बनाने की सूचना मिलेगी वहां तुरंत कार्रवाई की जाएगी। चुनाव के समय पर इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि कहीं पर भी अवैध शराब न बनाई जाए।
आकाश कुलहरी, एसएसपी, कानपुर नगर

यहां धधकती हैं भट्ठियां

जनपद में कई ऐसे गाँव हैं जहां कच्ची शराब बनाने के लिए कार्रवाई की जा चुकी है, मगर पुलिस की धरपकड़ के कुछ समय के बाद ही इन जगहों पर फिर से शराब माफिया सक्रिय हो जाते हैं।

थाना बिधनू

हरबसपुर, जमरेही, कल्याणी पुरवा, प्रेम पुरवा, रामखेड़ा, दलेलपुर, मझावन, जामू, सेन पश्चिम पारा और नारायणी पुरवा गाँव

थाना सचेंडी

उदयपुर, सीढ़ी, इटारा, भैरमपुर, भगवंतपुर, गणेशी पुरवा, कंजड़ डेरा और बंगाली पुरवा कॉलोनी

थाना महाराजपुर

कटरी डोमनपुर, दिबियापुर, भगवंतखेड़ा, विपौसी, नारायणपुर, रैहनक और नरवल थाने के पाली, तिरसहरी, पारा, दीपापुर, थरेपार, मिश्रीखेड़ा और करबिगवां गाँव

कच्ची शराब का सेवन लीवर और किडनी के लिए घातक है। इसमें मिलाई जाने वाली मेथाइल की मात्रा यदि बढ़ जाए तो पीने वाले की मौत निश्चित है। लगभग दो साल पहले उन्नाव जिले में कच्ची शराब पीने से बीमार पड़े मरीजों को जब हैलेट में जांचा गया तो उनके लीवर में मेथाइल एल्कोहल के साथ ही यूरिया भी मिला था।
डॉ. विकास गुप्ता, मेडिसिन विभाग, हैलेट

ऐसे बनती है कच्ची शराब

एक नंबर की 10 बोतल बनाने में करीब आठ किलो महुआ का प्रयोग होता है। इसमें चार किलो नया और चार किलो पुराना महुआ इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही, 150 रुपए का गुड़ भी डाला जाता है। कच्ची शराब में नशा अधिक हो इसके लिए नशीला पदार्थ मिलाया जाता है। शराब बनाने वालों ने बताया कि 10 बोतल शराब बनाने में करीब 840 रुपए का खर्च आता है, जिसकी बिक्री 2500 रुपए तक में होती है। नाम न छापने की शर्त पर भैरमपुर के एक अवैध शराब निर्माता ने बताया, “कुछ लोग इसमें नौसादर, नाइट्राबेट और डायजापाम साथ ही मेथाइल और यूरिया भी मिलाते हैं। बता दें कि नौसादर के सेवन से चर्म रोग होने का खतरा रहता है। नाइट्राबेट और डायजापाम नींद की दवा होती हैं। इसे पीने से आंख की रोशनी जाने व दिमागी बीमारी होने का खतरा होता है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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