राजनीतिक पार्टियों ने स्वास्थ्य सेवाओं को नहीं दी अहमियत 

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राजनीतिक पार्टियों ने स्वास्थ्य सेवाओं को नहीं दी अहमियत चुनावी माहौल में किसी भी पार्टी ने जनता के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखा।

सुधा पाल, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। राजनीतिक पार्टियों ने प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए हर तरह से जनता से जुड़ने की कोशिश की और कई तरह के मुद्दों को उठाया भी, लेकिन किसी भी पार्टी ने जनता के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखा। सभी राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्र में कहीं भी प्रदेश की जनता के लिए उनके स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी तरह की बात नहीं कही है, जिसका आईएमए ने विरोध जताया है। इसके साथ ही संघ ने डॉक्टरों की कुछ प्रमुख मांगों को चुनावी एजेंडे में शामिल किए जाने पर जोर दिया है।

राजधानी के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. पीके गुप्ता बताते हैं, “आनेवाले चुनावों में पार्टियों ने स्वास्थ्य और पर्यावरण को मुद्दे से बाहर रखा है, जबकि यह प्रदेश के लिए एक अहम मुद्दा है। इसके बावजूद इस पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।” उन्होंने बताया कि आए दिन प्रदेश में स्वास्थ्य से जुड़ी किसी न किसी समस्या से हर इंसान जूझ रहा है। टीबी जैसी प्रदूषण से होने वाली बीमारी के लिए भी सरकार को सोचने की जरूरत है कि इससे किस तरह से निजात पाया जा सकता है। उनका कहना है, “पोलियो अभियान की तरह ही इस तरह की बीमारियों के लिए भी लोगों को सचेत कर इसके बारे में जागरुकता फैलाकर इससे बचा जा सकता है।

‘इलाज से सस्ता है बीमारी पर नियंत्रण’

अध्यक्ष ने बताया कि दल अगर गरीबों के स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान दें तो प्रदेश में बीमारियों के इलाज पर लगने वाले खर्च को बचाया जा सकता है। जिस तरह पोलियो अभियान के दौरान घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया गया और इस बीमारी से बचने के लिए लोगों को उपाय बताए गए, ऐसे ही अन्य बीमारियों पर भी रोक लगाई जा सकती है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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