बसों में प्राथमिक उपचार के नाम पर सिर्फ धोखा 

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बसों में प्राथमिक उपचार के नाम पर सिर्फ धोखा यूपी के एक बस में खाली पड़ा मेडिकल किट टूल।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। प्रदेश में चलने वाली हज़ारों बसों में करोड़ों यात्री रोजाना सफर करते हैं। सफर करते वक्त बस में अगर कोई यात्री चोटिल हो जाता है तो उसका प्राथमिक उपचार संभव नहीं है। क्योंकि बसों में फर्स्ट एड बॉक्स तो लगे हैं लेकिन उनमें दवाएं नहीं हैं।
हरदोई जिले में पिहानी ब्लॉक में रहने वाले हर्षित मिश्रा (29 वर्ष) बताते हैं, “मैं अपनी मां के साथ शाहजहांपुर से दिल्ली के लिए सफर कर रहा था तब अचानक मम्मी को उल्टी और चक्कर आने लगा। बस में जो किट लगी थी वो खाली थी। तब नींबू पानी पिलाकर उनको ठीक किया।” अपनी बात को जारी रखते हुए हर्षित आगे बताते हैं, “जिस बस में सफर कर रहे थे उसमें टीवी भी लगा था। पानी की भी सुविधा थी, लेकिन जान-बचाने के लिए दवाएं नहीं थीं।”

बसों के फर्स्ट एड बॉक्स कभी भी खाली नहीं होते हैं। वो समय-समय पर बदले भी जाते हैं। अगर किसी बस में ऐसी असुविधा पाई जाती है तो इसके लिए तुंरत सूचित किया जाना चाहिए, जिससे यात्रियों को किसी तकलीफ का सामना न करना पड़े। किट में सामान्य दवाएं रहती हैं यात्री जिनका खुद प्रयोग कर सकते हैं।
एके सिंह, एआरएम, लखनऊ

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नियमों के अनुसार, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की हर बस में फर्स्ट एड बॉक्स की सुविधा होती है। किट में आपात स्थिति में उपयोग आने वाली दवाएं रखनी जरूरी हैं। पिछले शनिवार को गाँव कनेक्शन संवाददाता अलीगढ़ से कानपुर का सफर कर रहे थे।

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सफर के दौरान उनका पैर सीट से टकरा गया, जिससे वह चोटिल हो गए। उनके पैर से लगातार खून बह रहा था। बस परिचालक से प्राथमिक उपचार की मदद मांगी जिस पर उन्होंने फर्स्ट एड बॉक्स में कुछ नहीं कहकर टाल दिया।

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