बस नाम का ही रह गया बरेली का झुमका

Diti BajpaiDiti Bajpai   24 Feb 2017 4:05 PM GMT

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बस नाम का ही रह गया बरेली का झुमकाबरेली का कुतुबखाना बाज़ार। फोटो: दिति बाजपेई

दिति बाजपेई, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बरेली। झुमके का नाम आते ही लोग बरेली को याद करते हैं। लेकिन बरेली के झुमके के लिए प्रचलित बाजार में अब झुमके दिखने ही बंद हो गए हैं।

वर्ष 1966 में आई सुनील दत्त अभिनीत फिल्म ‘मेरा साया’ में आशा भोंसले का गाया गीत ‘झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में’ उस समय से लेकर आज तक भी लोगों का लोकप्रिय गीत बना हुआ है। इसकी लोकप्रियता ने बरेली को एक नई पहचान दे दी।

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जहां तक हमको पता है हरिवंश राय बच्चन ने तेजी बच्चन से अपने प्यार का इजहार कुतुबखाना चौराहे पर किया था तो उनके मुंह से निकला मेरा झुमका खो गया बरेली के बाज़ार में। तभी इस पर गाना लिखा गया था।
जसपाल सिंह, कपड़ा दुकानदार

जसपाल सिंह कुतुबखाना बाज़ार में कपड़े की दुकान चलाते हैं। मुस्कुराते हुए वो बताते हैं, “शहर में जब भी कोई नया आता है तो वो इस बाज़ार के बारे में पूछता जरुर है कि झुमका किस जगह गिरा था वो जगह बता दीजिए।

शहर में जब भी कोई नया आता है तो वो इस बाज़ार के बारे में पूछता जरुर है कि झुमका किस जगह गिरा था वो जगह बता दीजिए।
जसपाल सिंह, कपड़ा दुकानदार

बरेली जिले को झुमका सिटी बनाने में बाॅलीवुड का पूरा योगदान है। लेकिन जहां झुमका गिरा उसको आज तक कोई पहचान नहीं मिली। कुतुबखाना बाज़ार में पिछले कई वर्षो से इत्र की दुकान चला रहे वसीम अहमद (45 वर्ष) बताते हैं, “ एक महीना पहले पढ़ा था कि जहां पर झुमका गिरा था उस जगह को लोग जब लोग देखने आते हैं तो उन्हें कुछ नहीं मिलता। इसलिए इसका लैंडमार्क बनाने के वहां झुमका लगाया जाएगा। पर अभी तक कुछ हुआ नहीं है।”

28 फरवरी वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बरेली में आयोजित एक रैली में अपने सम्बोधन की शुरुआत झुमके की जिक्र करते हुए की थी। उन्होंने कहा था कि वह पहले बरेली तो नहीं आए लेकिन यह जरूर सुना कि ‘झुमका यहीं गिरा था।’ “लोग जिस नाम से बरेली को जानते है उस पर आज तक ध्यान ही नहीं दिया गया। अलग-अलग शहर से बाज़ार में लोग आते हैं, पूछते भी हैं। अगर इस बाज़ार में झुमके का कोई प्रतीक बना दिया जाए तो और लोग इसे देखने आएंगे।”

ऐसा बताती हैं, कुतुबखाना बाज़ार में फूलों की दुकान चला रही रश्मि यादव। बरेली में झुमके का कारोबार कोई प्राचीनतम कारोबार का हिस्सा नहीं है। सर्राफे की दुकान में बैठे हरि प्रसाद(60 वर्ष) बताते हैं, सर्राफे का कारोबार बरेली में बहुत समय से चलता चला आ रहा है। लेकिन उस समय इस गाने के बाद से झुमके की मांग ज्यादा बढ़ गई थी। फिर धीरे-धीरे मांग कम हो गई, यहां बहुत सारी सर्राफे की दुकानें हैं जिनमें झुमका बनाने का काम होता है।

     

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