कोटेदार की मनमानी से मुश्किल में ग्रामीण, नहीं मिलता नियमित राशन

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कोटेदार की मनमानी से मुश्किल में ग्रामीण, नहीं मिलता नियमित राशनग्रामीणों को पिछले दो वर्षों से साल में सिर्फ सात-आठ महीने ही मिलता है राशन।

बाबू धर्मेन्द्र कुशवाहा, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

सहार (औरैया)। ढिकियापुर ग्राम पंचायत के ग्रामीणों को पिछले दो वर्षों में आठ महीने का राशन नहीं मिला है, जो राशन मिलता भी है उसकी मात्रा कभी पूरी नहीं होती है।

औरैया जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर उत्तर-पूरब दिशा के सहार ब्लॉक में ढिकियापुर गाँव है। 1800 मतदाता वाले इस गाँव में लगभग 300 राशन कार्ड बने हैं। इस गाँव में रहने वाले मनोहर बाथम (60 वर्ष) बताते हैं, “जबसे गाँव में राशन बँटना शुरू हुआ है, तबसे साल में सिर्फ आठ महीने ही राशन मिलता है। जो राशन मिलता है, उसमें वजन हमेशा कम रहता है।” वो आगे बताते हैं, “राशन बांटने से पहले कभी सूचना नहीं दी जाती है। एक-दूसरे को देखा-देखी राशन लेने पहुंच जाते हैं, अगर उस दिन न पहुंचे तो फिर राशन नहीं मिलता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के नियमानुसार एक कार्डधारक को 35 किलो अनाज मिलना चाहिए।

मैं साल के बारहों महीने प्रत्येक कार्ड पर 35 किलो अनाज, दो किलो चीनी और एक लीटर मिट्टी का तेल देता हूं।
लारा गुप्ता, कोटेदार का बेटा

वहीं, इस गाँव में रहने वाले बाबू धर्मेन्द्र कुशवाहा (35 वर्ष) का कहना है, “कोटेदार की मनमानी से हम लोग तबाह हो चुके हैं। ब्लॉक स्तर से लेकर जिले स्तर तक कई बार शिकायत की है और ग्रामीणों ने धरने भी किए हैं। शिकायत करने के एक दो महीने सही से राशन मिलता है मगर फिर वही पुराने ढर्रे में शुरू हो जातें हैं।”

हर राशनकार्ड धारक को हर महीने राशन मिलना चाहिए। जिले से हर महीने का राशन जाता है। इस गाँव की हमारे पास तक अभी कोई शिकायत नहीं आयी है और अगर हमारे पास तक शिकायत आयेगी तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जायेगी।
दिलीप कुमार, जिला पूर्ति अधिकारी, औरैया

वहीं, ग्रामीण अनिल राजपूत (38 वर्ष) बताते हैं, “कोटेदार के पास 20 वर्षों से कोटा है। जब मन होता है राशन दे दिया जाता है। ग्रामीणों ने कई बार शिकायत भी की है। पिछले ढाई साल से बिना सूचना दिए राशन बाँट दिया जाता है, जो पहुंच गया उसे मिल गया जो नहीं पहुंचा उसे नहीं मिला, एक साल में चार पांच महीने तो राशन मिलता ही नहीं है।

इस गाँव के ग्राम प्रधान रविन्द्र कुमार का कहना है, ‘उषा देवी के नाम कोटा है और इनके पति का देहांत हो गया हैं। इनका बेटा कोटा चलाता है। पिछले एक डेढ़ साल से कोटेदार की बहुत मनमानी चल रही है। मिट्टी का तेल कभी एक लीटर तो कभी सिर्फ डेढ़ लीटर और कभी-कभी मिलता ही नहीं है।” रविन्द्र कुमार ने कहा, “नवम्बर के बाद अभी तीन दिन पहले राशन मिला है।

ज़मीनी हकीकत कुछ और

बता दें कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 भारत सरकार द्वारा कानून शुरू किया गया। इस कानून के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत तक की आबादी को सस्ती दरों पर पर्याप्त मात्रा में खाद्यान सामग्री पहुंचाने की योजना है। मगर जमीनी स्तर पर इसकी हकीकत कुछ और ही है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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