ग्रामीण क्षेत्रों में बने सामुदायिक शौचालय सफाई के अभाव में हुए अनुपयोगी

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ग्रामीण क्षेत्रों में बने सामुदायिक शौचालय  सफाई के अभाव में हुए अनुपयोगीबैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड से बने एक शौचालय का हाल बयां करती यहां की सफाई व्यवस्था।

हरिनारायण शुक्ला, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गोंडा। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बीआरजीएफ (बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड) से बने सामुदायिक शौचालय सफाई व्यवस्था के अभाव में दिन पर दिन उपयोगहीन होते जा रहे हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार इसकी सुध तक नहीं ले रहे। आंकड़ों की माने तो इन शौचालयों को बनाने में 95 लाख रुपए खर्च हुए, लेकिन अब ये अनियोजित विकास की भेंट चढ़ गए हैं। जानकार बताते हैं कि जब ये शौचालय बन रहा था, उस समय इनके निर्माण पर प्रधानों का बहुत जोर रहा। हालांकि जब ये बन चुके इसके साफ-सफाई का कोई ध्यान तक नहीं रखता। इससे 28 हजार लोग शौचालय सुविधा से वंचित हो गए।

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यह प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं था। सामुदायिक शौचालय वाले सफाईकर्मी सफाई का काम करेंगे, अन्यथा निलंबित होंगे। एडीओ पंचायत से रिपोर्ट मंगाकर कार्रवाई की जाएगी।
घनश्याम सागर, जिला पंचायत राज अधिकारी

आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012-13 में बीआरजीएफ के फंड से जिला पंचायत ने स्वच्छता का बीड़ा उठाया था, जिसमें 28 स्थानों पर सामुदायिक शौचालय बनवाने की स्वीकृति जिला पंचायत सदन ने दी। प्रत्येक सामुदायिक शौचालय पर साढ़े तीन लाख रुपए कार्यदायी संस्था ग्राम पंचायत को दिए गए और निर्माण वर्ष 2014-15 में पूरा किया गया। अब इन शौचालयों की हालत ऐसी है कि साढ़े तीन लाख की लागत वाले सामुदायिक शौचालय पर तीन लोग भी शौच करने नहीं जाते। इसका कारण भी स्पष्ट रूप से इन शौचालयों की साफ-सफाई ही बताती है। भवन बनने के बाद से ही, यहां पर सफाई की व्यवस्था की जिम्मेदारी से ग्राम पंचायत मुकर गई। सफाई कर्मी ने यहां पर सफाई करने से मना कर दिया।

प्रत्येक शौचालय पर साढ़े तीन लाख रुपये बेकार गए

झंझरी ब्लॉक की ग्राम पंचायत गोंडा गिर्द की मजरा लोहराजोत में बीआरजीएफ से एक सामुदायिक शौचालय बनवाया गया। इसी गाँव के रहने वाले रमेश कुमार (24 वर्ष) ने बताया, “उद्घाटन के बाद इसकी सफाई का बंदोबस्त नहीं किया गया, जिससे साढ़े तीन लाख रुपए यूं हीं बेकार हो गए। यहां पर पुरुष व महिला शौचालय बनाने के अलावा हैंडपंप की व्यवस्था भी की गई थी। लेकिन सफाईकर्मी व एडीओ पंचायत इसे भूल गए।”

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बभनजोत ब्लॉक के घारीघाट के रहने वाले राहुल शुक्ला (40 वर्ष) ने बताया, “सामुदायिक शौचालय बीआरजीएफ की धनराशि से बनवाया गया और साढ़े तीन लाख रुपए खर्च किए गए। लेकिन यहां पर सामाजिक बदलाव की मंशा नहीं पूरी हो पायी। कारण सफाईकर्मियों ने यहां सफाई करने से मुंह मोड़ लिया। डीपीआरओ, बीडीओ, एडीओ पंचायत ने इन सामुदायिक शौचालय की सुध नहीं ली। अब ये दिखावा साबित हो रहे हैं।”

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वहीं परसपुर विकास खंड की ग्राम पंचायत पसका व भौरीगंज में अलग-अलग दो सामुदायिक शौचालय बनाये गए। भौरीगंज के रहने वाले राजकुमार (35 वर्ष) ने बताया, “यहां भी शौचालय बेमकसद हो गये। यहां पर लोगों की समस्या है कि शौच जाने के बाद शौचालय साफ कौन करे। प्रधान का कहना है कि सफाईकर्मी नहीं सुनता। यह दोनों शौचालय बीआरजीएफ के पैसे से बने हैं।”

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