भूमिहीन श्रमिकों को मिल रहा ज़मीन का मालिकाना हक
Devanshu Mani Tiwari 18 March 2017 1:04 PM GMT
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। मिर्जापुर के उमरिया गाँव की रहने वाली नगीना (30 वर्ष) ने यह कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उसका खुद का एक घर होगा और वो उसमें अपनी आर्टीफीशियल चूड़ियों की दुकान खोल पाएंगी। लेंडेसा संस्था की मदद से आज नगीना का खुद का घर है और उसकी दुकान भी, जिसकी मदद से वो आज अपने पैरों पर खड़ी हैं।
देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप
काम की तलाश में नगीना अपने पति अश्फाक के साथ वाराणसी तो आ गई, पर उन दोनों की कमाई इतनी नहीं थी कि उससे परिवार चल सके। अपनी बेटियों की पढ़ाई के लिए नगीना वापस अपने गाँव चली आई, जहां उन्हें लेंडेसा संस्था के बारे में पता चला। लेंडेसा ने नगीना को इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत आवास दिलवाने में मदद की। आज उनका अपने गाँव में खुद का घर है, जहां रहकर उनकी दोनों बेटियां पढ़ रही हैं और उनकी एक छोटी दुकान भी है।
महिलाओं को उनके भूमि अधिकारों से परिचय कराकर उन्हें मालिकाना ज़मीन का मालिकाना हक दिलवाने के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठन लेंडेसा की निदेशक शिप्रा देओ बताती हैं, ‘’लेंडेसा की मदद से अभी तक उत्तर प्रदेश में 1,500 भूमिहीनों को ज़मीन का पट्टा दिलवाया जा चुका है। हम अभी तक मिर्जापुर, जौनपुर और भदोही जिलों में काम रहे हैं।’’ देश की एनएसएसओ के वर्ष 2013 सर्वे के मुताबिक, भारत में रहने वाली शहरी आबादी का आधा हिस्सा भूमिहीन था, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 10 घरों पर एक भूमिहीन का था। ऐसे में लेंडेसा जैसी संस्था इन आंकड़ों को कम करने में अहम भूमिका निभा रही है। उत्तर प्रदेश के अलावा लेंडेसा भारत के सात राज्यों (उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, नई दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश) में गरीबों भूमिहीनों व महिलाओं को उनकी ज़मीन का मालिकाना हक दिलवाने का काम रही है।
आने वाले समय में हम मिर्जापुर, जौनपुर और भदोही के अलावा उत्तर प्रदेश के बाकी जिलों में भी महिला श्रमिकों और गरीब वर्गों को उनकी अपनी ज़मीन दिलवाने में मदद कर पाएंगे।अनुजा, जनसंपर्क अधिकारी, यूपी लेंडेसा।
दिव्यांग दंपति को मिला सहारा
मिर्जापुर की नगीना की तरह ही भदोही जिले के मुसहर समुदाय के सोनी और पुन्नु को भी ज़मीन का पक्का पट्टा मिला है। नेत्रहीन दंपति के पास दिव्यांगता प्रमाणपत्र होने के बावजूद सरकार से मिल रहा आवासीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। इसलिए वो दोनों सड़क पर गाना गाकर पैसे कमाने का काम करते थे। सोनी और पुन्नू को लेंडेसा ने उनके प्रमाणपत्र के आधार पर ज़मीन का पट्टा दिलवाने में मदद की। आज उनके पास अपनी खुद की ज़मीन है।
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।
More Stories