बलुई मिट्टी में अधिक जल सोखने वाली फसल नुकसानदायक

Ajay MishraAjay Mishra   10 March 2017 2:29 PM GMT

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बलुई मिट्टी में अधिक जल सोखने वाली फसल नुकसानदायकबलुई मिट्टी में अधिक जल लगने वाली फसलों से बचा जाए।

अजय मिश्रा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

कन्नौज। ‘‘धान, पान और केला ये पानी के चेला। तीनों फसलें काफी पानी में होती हैं। बलुई मिट्टी में अधिक जल लगने वाली फसलों से बचा जाए, नहीं तो जलदोहन अधिक होगा।” यह कहना है जिला उद्यान अधिकारी मुन्ना यादव का।

वह आगे बताते हैं, ‘‘किसानों को बालू की मिट्टी में मक्का की फसल नहीं करनी चाहिए। बालू में की गई फसल बार-बार पानी मांगती है। बलुई मिट्टी आलू और मूंगफली के लिए ही बेहतर है, जिससे आलू और मूंगफली का साइज बड़ा यानी ग्रोथ अच्छी होती है।” साथ ही अगर फसल के बीच में बरसात हो जाए तो बलुई मिट्टी पानी अधिक सोखती है, जिससे फसल कम खराब होती है। उद्यान विभाग के मुताबिक गर्मी शुरू हो गई है। फसलों में सिंचाई के लिए कुछ योजनाएं किसानों के लिए आई हैं। जिनका किसान लाभ ले सकता है। इससे पानी की 75 फीसदी तक बचत होती है।

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योजनाओं में मिलता है अनुदान

ड्रिप सिंचाई पद्धति में आम, लीची और आंवला के लिए 15,745 रुपए अनुदान मिलता है। अमरूद, नींबू वर्गीय, शरीफा और अनार आदि के लिए 22,713 रुपए, अन्य फल वाली फसलों के लिए 39,128 रुपए, केला के लिए 57,218 और आलू व शाकभाजी के लिए 67,000 का अनुदान किसानों को 67 फीसदी के हिसाब से देय है। स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति में माइक्रा स्प्रिंकलर में 39,463 रुपए, मिनी स्प्रिंकलर में 57,084 रुपए, पोर्टेबल स्प्रिंकलर में 13,132, सेमी परमानेन्ट स्प्रिंकलर में 24,522 और लार्ज वैल्यूम रेनगन के लिए 21,172 रुपए का अनुदान किसानों को विभाग से मिलता है। यह स्प्रिंकलर सिंचाई मटर, हरी पत्तेदार सब्जियां व आलू आदि फसलों के लिए लाभकारी है।

यूं मिलता है लाभ

डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी के तहत किसानों को सीधे बैंक खाते के हिसाब से अनुदान भेजा जाता है। डीएचओ बताते हैं कि पहले किसान ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति लगा लेता है उसके बाद बिल-वाउचर उनके विभाग में दे। सत्यापन के बाद जो भी लाभ है, वह खाते में भेजा जाएगा। पहले किसानों को खुद पूरा खर्च वहन करना पड़ता है।

ड्रिप सिंचाई गन्ना व मक्का में भी कारगर

डीएचओ मुन्ना यादव का दावा है, ‘‘ड्रिप सिंचाई गन्ना और मक्का फसल में भी उपयोगी है। इसके अलावा आम, लीची, आंवला, अमरूद, नींबू वर्गीय, शरीफा एवं अनार की बागवानी में यह पद्धति कारगर है। आलू और शाकभाजी में भी यह सिंचाई बेहतर है।”

जड़ों में जाता है पानी, 75 फीसदी बचत

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ‘पर ड्राप मारे क्रॉप’ योजना चल रही है। इसमें स्िप्रंकलर सिंचाई और ड्रिप सिंचाई का लाभ किसानों को दिया जाता है।

डीएचओ के मुताबिक, लघु सीमांत, अनुसूचित जाति-जनजाति और महिला किसानों को 67 फीसदी अनुदान दोनों ही योजना में मिलता है। बड़े किसानों को 56 फीसदी अनुदान दिया जाता है। कन्नौज में गैर डीपीएपी क्षेत्र का अनुदान दिया जा रहा है। इन योजनाओं से फ्लड सिंचाई होती है, जिससे फसलों की जड़ों में पानी जाता है। 75 फीसदी पानी की फसल होती है।

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