बेकार वस्तुओं से स्कूल में तैयार विज्ञान प्रयोगशाला से बच्चे सीख रहे विज्ञान की बारीकियां 

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बेकार वस्तुओं से स्कूल में तैयार विज्ञान प्रयोगशाला से बच्चे सीख रहे विज्ञान की बारीकियां मोहनलालगंज विकासखण्ड के पूर्व माध्यमिक विद्यालय भद्दी सिर्स की लैब।

लखनऊ। मोहनलालगंज विकासखण्ड के पूर्व माध्यमिक विद्यालय भद्दी सिर्स में जीरो बजट लैब के सहारे विज्ञान की बारीकियां सीख रहे बच्चे कान्वेण्ट स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं। शिक्षकों की जीतोड़ मेहनत के बल पर विज्ञान की कसौटी पर खरे उतर रहे इन बच्चों की विलक्षण प्रतिभा परिषदीय स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले लोगों को निरुत्तर कर देने वाली है। साथ ही लाल रंग भरे पॉलीथीन पाउच से हृदय की कार्यप्रणाली और नींबू के रस से लिटमस पेपर टेस्ट। स्कूल की क्यारी से वाष्पोत्सर्जन और पुराने ग्लास से न्यूटन के नियम सीख छात्र बन रहें भविष्य के वैज्ञानिक।

कहा जाता है कि, प्रगति का रास्ता अभाव से होकर गुजरता है, लेकिन राजधानी से करीब पैंतीस किलोमीटर दूर पूर्व मोहनलालगंज स्थित भद्दी सिर्स गांव के माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक इस कहावत को सच साबित करने का बीड़ा उठाए हुए हैं। संसाधनों का अभाव झेलने के बावजूद शिक्षकों ने बच्चों को विज्ञान की बारीकियां सिखाने के लिए विद्यालय में बेहतरीन प्रयोगशाला तैयार कर रखी है। जिसमें रखे गए मॉडलों के सहारे कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को प्रकाश संश्लेषण, न्यूटन के गति के नियम, चुम्बकीय पदार्थों का विश्लेषण, विद्युत परिपथ की मदद से धारा प्रवाह, श्वसन तंत्र की संरचना और कार्यप्रणाली,पौधों में खनिज-लवण और जल परिवहन,प्रकाश तथा पाचन तंत्र की कार्यविधि सिखाई जा रही है। शिक्षकों की इस मुहिम का दायरा धीरे-धीरे बढ़कर समूचे विकासखण्ड के विद्यालयों के लिए प्रेरणा स्रोत बनता जा रहा है।

वहीं खण्ड शिक्षा अधिकारी आरएन यादव की पहल पर इसके लिए एक-एक कर सभी स्कूलों में विज्ञान प्रयोगशाला तैयार कराने की मुहिम छिड़ चुकी है। फिलहाल धनुवासांड़, गौरा, मदारपुर और कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में प्रयोगशाला तैयार भी कराई जा चुकी है।

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बेकार वस्तुओं से तैयार हुई इस जीरो बजट लैब की विज्ञान प्रयोगशाला घर में पड़ी रहने वाली बेकार की वस्तुओं से तैयार की गई है। पुरानी खराब रबर पाइप, पालीथीन पाउच,कार्ड , ग्लास, सिक्के, पुराने चुम्बक समेत अन्य चीजों से बिना खर्च की जीरो बजट लैब तैयार की गई है। जिनकी मदद से निर्मित मॉडलों के सहारे बच्चों को विज्ञान सिखलाई जा रही है। वहीं इस प्रयोगशाला की इंचार्ज मधुबाला बताती हैं कि, बच्चे पहले खाली समय का सही उपयोग नहीं कर पा रहे थे, जिसके चलते उनके अंदर की प्रतिभा निकल कर सामने नहीं आ रही थी।

इलाज करते-करते बन गये शिक्षक :- पूर्व माध्यमिक विद्यालय भद्दी सिर्स में दिसम्बर-2015 से तैनात विज्ञान शिक्षक राधेकान्त चतुर्वेदी सीपीएमटी उत्तीर्ण कर 1989 बैच में बीएएमएस कर चुके हैं। लेकिन मरीजों का इलाज करते-करते नई पीढ़ी के लिए कुछ करने की इच्छाशक्ति ने उन्हें 2013 में बेसिक शिक्षा परिषद में बतौर विज्ञान शिक्षक ज्वाइन करने पर विवश कर दिया। इरादों के पक्के चतुर्वेदी ने अपनी साथी विज्ञान शिक्षिका मीनू शर्मा के साथ विद्यालय के बच्चों को कहीं आगे ले जाने की ठान रखी है। जिसके लिए शिक्षकों की टीम ने प्रयोगशाला को विभिन्न प्रकार के छाया-चित्रों ,चार्ट-पोस्टर और मॉडलों से सजा रखा है। बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए विद्यालय में विभिन्न महानतम व्यक्तित्व, वैज्ञानिकों के जीवन चरित्र और कहानियों की पुरानी पुस्तकें एकत्र कर पुस्तकालय तैयार किया गया है।

               

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