लव मैरिज करने पर चंडीगढ़ से उठवाकर मौसी ने किया कैद, ‘181’ ने ऐसे चलाया ऑपरेशन रेस्क्यू

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लव मैरिज करने पर चंडीगढ़ से उठवाकर मौसी ने किया कैद, ‘181’ ने ऐसे चलाया ऑपरेशन रेस्क्यू181 की टीम अब तक 212 महिलाओं की कर चुकी है मदद।

बसंत कुमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। एक जनवरी की शाम लखनऊ के महिलाओं की सहायता के लिए जारी नम्बर ‘181’ पर चंडीगढ़ से एक फोन आया, जिसमें एक लड़की के अगवा किये जाने के बारे में सिर्फ दो जानकारियां दी गईं थीं - एक गली दरभंगा और एक दबंग मौसी की पहचान।

महिला सहायता नंबर 181 के साथ काम करने वाली बचाव टीम लड़की (पहचान सुरक्षित रखने के लिए नाम नहीं बताया गया है) को बचाने के लिए तुरंत सतर्क हो गई। सीमित जानकारी होने की कठिनाई ज़रूर थी लेकिन फिर भी टीम ने जल्द ही ये पता लगा लिया कि बताई गई गली लखनऊ के उतरठिया क्षेत्र के एक गाँव में स्थित है।

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर 2016 में यूपी सरकार ने प्रदेश के कई जिलों में इन रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्रों की स्थापना की थी। इन केंद्रों के लिए ही एक हेल्प लाइन नम्बर 181 जारी किया गया था, जिस पर प्रदेश भर से कोई भी विषम परिस्थितियों में फोन कर सकती है। इन केंद्रों में बचाव के बाद महिलाओं को काउंसलिंग, चिकित्सीय या पुलिसिया मदद सब इसी केंद्र में मुहैया कराई जाती है।

उतरठिया इलाके में अब टीम ने खोजना शुरू किया नेताइन नाम की दबंग महिला को, जिसका ज़िक्र फोन कॉल में किया गया था। थोड़ी जांच पड़ताल के बाद टीम ने नेताइन का घर खोज निकाला।

बचाव टीम का नेतृत्व कर रहीं अनीता गौतम बताती हैं, ‘रिया को ढूँढ़ना मुश्किल था क्योंकि उसको लेकर बहुत कम जानकरी आशा ज्योति केंद्र की बचाव टीम के पास थी। इतनी कम जानकारी होने के बावजूद हमने रिया को ढूँढ़ना शुरू किया। फोन पर मिली जानकरी के अनुसार हम उस गाँव में पहुंचे तो उस गाँव में तीन महिलाएं थीं, जिनको नेताइन कहके बुलाया जाता था। हमने गाँव में कुछ लोगों ने बातचीत की तो लड़की की मौसी का पता चल गया,लेकिन असली समस्या थी कि उसके घर कैसे तक पहुंचे।’

घर का तो पता चल गया था लेकिन टीम को ये समझ नहीं आ पा रहा था कि लड़की के इसी घर में बंद होने का पता कैसे लगाया जाए।

तभी टीम ने एक उपाय निकाला। “हमने उसी दिन (नेताइन नाम की उस महिला को) फोन किया और झूठ बोलकर इधर-उधर की बातें करते रहे और आखिर में जब लड़की के सम्बन्ध में बातचीत करने लगे तो वो चिल्लाने लगी और देख लेने की बात कहने लगी”।

इस फोन के बाद टीम को ये तो पता चल चुका था कि लड़की किस घर में बंदी है लेकिन बचाव अभियान में संभावित ख़तरा भी ज़ाहिर था, इसलिए टीम ने अतिरिक्त सहायता लेने की सोची। बचाव टीम दूसरे दिन स्थानीय थाने की पुलिस और अपने सामाजिक कार्यकर्ताओं को लेकर रिया मौसी के घर पहुंच गयी। टीम ने पाया कि लड़की को उसकी मौसी ने छत पर छुपाकर बंदी बनाकर रखा था। जब बचाव टीम लड़की को लेकर चलने लगी तो आसपास के लोगों ने विरोध किया, लेकिन पुलिस को साथ ले जाने की सतर्कता काम आई और लड़की को सुरक्षित निकाल लिया गया।

पूरा मामला ये था कि लखनऊ में बंदी ये लड़की दरअसल चंडीगढ़ में अपने परिवार के साथ रहती थी। चंडीगढ़ में ही लड़की ने अपने परिवार की मंजूरी के बगैर अपने गाँव के ही एक लड़के से प्रेम विवाह कर लिया था। लड़का-लड़की दोनों बालिग थे लेकिन परिवार को ये रिश्ता मंजूर नहीं था, इसलिए लड़की की दबंग मौसी उसे चंडीगढ़ से उठा लाई थी और लखनऊ में कैद कर रखा था।

अपने मन से शादी के बाद ये लड़की चंडीगढ़ में ही एक व्यक्ति के घर काम करती थी। बंदी बनाए जाने के बाद जैसे ही मौका मिला तो लड़की ने उसी व्यक्ति को मदद के लिए फोन किया। यही वो व्यक्ति था जिसने बाद में महिला सहायता नंबर पर बंदी लड़की के बंदी बनाए जाने की जानकारी दी।

इस लड़की को जिस टीम ने बचाया उनमें महिला पुलिस के अलावा टीम का नेतृत्व करने वाली अनीता गौतम और तपस्या शुक्ला शामिल थी। अनीता और तपस्या दरअसल आशा ज्योति केंद्र नामक सरकारी केंद्र के तहत काम करती है। प्रदेश भर में ऐसे 16 केंद्र हैं जो उत्तर प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत संचालित हैं।

लखनऊ आशा ज्योति केंद्र से जुड़ी अर्चना सिंह बताती हैं कि बंदी बनाई गई लड़की छुड़वाकर जब हमारे पास लाई गयी तो हमने उससे पूछा कि मौसी पर पुलिस कार्रवाई करना चाहती है तो उसने इंकार कर दिया। एक-दो दिन हमारे यहाँ रहने के बाद वो वापस चंडीगढ़ चली गयी। चंडीगढ़ की लड़की को बचाने वाला लखनऊ का आशा ज्योति केंद्र अब तक 212 महिलायों और लड़कियों को विषम परिस्थितियों से बचा चुका है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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