जानिए इस महिला ने दूसरों के यहाँ मजदूरी करते-करते खुद का व्यापार कैसे शुरू किया 

Neetu SinghNeetu Singh   22 May 2017 5:13 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
जानिए इस महिला ने दूसरों के यहाँ मजदूरी करते-करते खुद का व्यापार कैसे शुरू किया महिला मज़दूर ने अपनी समझदारी से बचत समूह में बचत कर मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

इलाहाबाद । कभी दूसरों के खेत में मजदूरी करने वाली एक महिला मज़दूर ने अपनी समझदारी से बचत समूह में बचत कर मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया। आज वह कई लोगों को खुद रोजगार दे रही हैं और 14 महीने में 17 बीघे तालाब से मछली पालन कर छह लाख रुपये तक बचा लेती हैं।

इलाहाबाद जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर शंकरगढ़ ब्लॉक से दक्षिण दिशा में बबंधर गाँव की रहने वाली इन्द्रकली पासी (58 वर्ष) खुश होकर बताती हैं, “समय बदलते देर नहीं लगती हैं, हम कहां से कहां पहुंच गए। जब दूसरों के खेत में मजदूरी करते थे तो मालिक का जितना मन होता था वह हमें उतनी मजदूरी दे देता था।

ये भी पढ़ें- किसान इन बातों का रखें ध्यान नहीं तो टमाटर की फसल खा जाएंगे कीड़े

आज हमारे तालाब में गाँव के कई लोग काम करते हैं और उन्हें हम वाजिब मजदूरी देते हैं ।” वो आगे बताती हैं, “बचत समूह से पांच हजार रुपए लेकर वर्ष 2003 में ग्राम पंचायत का 17 बीघा तालाब का पट्टा हमने पांच हजार में पांच साल के लिए लिया था। तब से लगातार हर पांच साल पर पट्टा ले लेते हैं। वर्ष 2015 में यही तालाब का पट्टा 35 हजार का मिला है। शुरुआत में कुछ साल ज़्यादा फायदा नहीं हुआ लेकिन अब इस तालाब से अच्छा मुनाफा मिल रहा है ।”

इलाहाबाद जिला की महिला समाख्या की जिला समन्यवक पंकज सिंह का कहना है, “बचत समूह का यही उद्देश्य है कि जो भी महिला रोजगार शुरू करना चाहे वो समूह से पैसा उधार ले सकती है और रोजगार में मुनाफा होने पर वापस कर सकती है, इसमें दो रुपए सैकड़ा ब्याज पड़ता है। मेहनती महिलाएं छोटी बचत से रोजगार शुरू करती हैं और बाद में बढ़ा लेती हैं। इसके बाद मजदूरी छोड़कर अपने रोजगार में ही पूरी तरह से लग जाती हैं।”

ये भी पढ़ें- आलू के बाद प्याज ने निकाले किसानों के आंसू, इंदौर में किसानों ने भेड़ों से चरवाई फसल

इन्द्रकली का कहना है, “मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं लेकिन जब 1995 में महिला समाख्या से जुड़ी और समूह की मीटिंग में जाने लगी तो वहां बड़ी ज्ञान की बातें होती थीं। पैसे बचत करने है ये हमने इसी मीटिंग से सीखा है, 20 रुपये समूह में जमा करने शुरू किये थे, इसी मीटिंग में जब हमने समस्या बतायी कि हम रोजगार करना चाहते हैं, तो दीदी ने तालाब का पट्टा सुझाया और कहा तुम मेहनती हो कर ले जाओगी। इसके बाद हमने शुरुआत की, आज हम थोड़ी सी मेहनत करके लाखों रुपये कमाने लगे। अगर महिला समाख्या से न जुड़े होते तो आज भी दूसरों के खेत में मजदूरी कर रहे होते लेकिन अब सब बदल गया है।”

मार्च से जून तक होती है बिक्री

बबंधर गाँव के लोग इन्द्रकली को देखकर अपने तालाब में मछली पालन कर रहे हैं। इन्द्रकली बताती हैं, “जुलाई महीने में मछली तालाब में डाल देते हैं, मार्च से लेकर जून तक इसकी बिक्री होती है, इस समय हमारे तालाब में रोघू, नैन, भाकुर, गरास, बिरगेट प्राजाति की मछली डाली गयी है। इन मछलियों को पालने के लिए लगभग एक लाख रुपए लागत आती है।

ये भी पढ़ें- गाँव के ही लोगों को नहीं बल्कि पुलिस को भी लेनी पड़ती है इस महिला की मदद

अगर भाव सही मिल गया तो छह से सात लाख की बचत हो जाती है ।” जब इन्द्रकली दूसरों के खेत में मजदूरी करती थी तब इनको दो वक्त की रोटी जुटाना ही मुश्किल था लेकिन आज इनके पास पक्के मकान के साथ दो तीन गाड़ियां भी हैं, इनके सभी लड़के इसी तालाब में मछली पालन में सहयोग करते हैं ।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.