सीतापुर के चिमलई गांव में 7 साल पहले बना था अस्तपाल, आज तक नहीं पहुंचा कोई डॉक्टर
गाँव कनेक्शन 17 Nov 2016 7:56 PM GMT
पवन शर्मा, कम्यूनिटी जर्नलिस्ट
चिमलई (सीतापुर)। गांवों में सैकड़ों मरीज मलेरिया समेत दूसरी बीमारियों से पीड़ित हैं। गांवों में लाखों रुपये लगाकर स्वास्थ्य उपकेंद्र भी खोले गए हैं लेकिन वो हाथी के साथ साबित हो रहे हैं। ज्यादातर अस्पताल जर्जर हो गए हैं, लेकिन उनमें डॉक्टर नहीं पहुंचे।
राजधानी लखनऊ से करीब 90 किलोमीटर उत्तर दिशा में सीतापुर जिले के ग्राम पंचायत चिमलई में करीब सात साल पहले स्वास्थ्य उपकेंद्र बना था। उस दौरान ग्रामीणों को भरोसा हो चला था कि अब उन्हें सर्दी जुखाम और प्रसव आदि के लिए कई किलोमीटर दूर बहादुरगंज या रामपुरमथुरा नहीं जाना पड़ेगा लेकिन आज तक इस अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा। कलुवापुर स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र में डॉक्टर और मेडिकल सुविधाओं के नाम पर नया-नया रंगा गया स्वास्थ्य विभाग का सिर्फ बोर्ड है। बाकी आज तक गांव के लोगों ने न डॉक्टर देखा न एएनएम। गांव के प्रधान शंकर लाल देव बताते हैं, लाखों रुपये लगे होंगे इस अस्पताल में लेकिन डॉक्टर तो कई आता नहीं कई बार हमने ऊपर के अधिकारियों से शिकायत भी की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”
ऱामपुर मथुरा ब्लॉक के चिमलई गांव निवासी देव नारायण मिश्र बताते हैं, “ये पूरा इलाका घाघरा की तराई में है इसलिए अक्सर बीमारियां फैलती रहती हैं। अगर पास में कोई डॉक्टर हो तो सहूलियत हो जाए। फिलहाल इस इलाके में अगर महिला को प्रसव होता है तो 10-12 किलोमीटर दूर मुख्य स्वास्थ्य केंद्र रामपुर मथुरा ले जाना पड़ता है।” फिलहाल भवन की दीवारें टूट गईँ हैं गेट तक गायब हो गया है। गांव के ही कई लोग यहां अपने पशु बांधते हैं और कंडे पाथते हैं।
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