पंजाब से यूपी तक दूध बना चुनावी मुद्दा 

दिति बाजपेईदिति बाजपेई   14 Feb 2017 10:50 AM GMT

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पंजाब से यूपी तक दूध बना चुनावी मुद्दा उत्तर प्रदेश चुनाव में जहां कानून व्यवस्था, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी और विकास का मुद्दा बना, वहीं इस बार दूध भी मुद्दा बन गया है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश चुनाव में जहां कानून व्यवस्था, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी और विकास का मुद्दा बना, वहीं इस बार दूध भी मुद्दा बन गया है। इससे लगता है कि प्रदेश में सरकार चाहे जो भी आए दूध का कारोबार करने वालों के अच्छे दिन आएंगे।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने घोषणापत्र में कई वादे किए हैं, उनमें से एक कुपोषित बच्चों को घी एक किलो डब्बा बंद दूध देने का भी एलान किया है। इसके साथ दूध के स्टोरेज के लिए चिलिंग प्लांट लगाने की भी घोषणा की है। वहीं बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि अगर उनकी सरकार आती है तो स्कूलों में दूध दिया जाएगा।

दूसरी ओर भाजपा ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में हर चार जिले में मिल्को प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का एलान किया है। विश्व के कुल दूध उत्पादन में भारत का योगदान 18.5 फीसदी है। भारत में प्रतिदिन दूध उत्पादन लगभग 40 करोड़ लीटर होता है। कामधेनु वेलफेयर ऐसोसिएशन के मेम्बर अजय राज त्रिपाठी ने बताया, “पार्टियां चुनाव के समय कई घोषणाएं करती है, पर लागू कुछ ही होती हैं। दूध कंपनियों के दूध लेने के कई मानक है, जिससे पशुपालकों को दिक्कत होती है।

सरकार को ये मानक बनाना चाहिए कि पानी मिला दूध न ले।” अजय आगे बताते हैं, “हरियाणा में हर एक लीटर दूध पर 5 रुपए की सब्सिडी मिलती है। जो भी सरकार बने उसको ऐसा ही करना चाहिए ताकि पशुपालकों को सही रेट मिले जो आज के समय में सभी पशुपालकों को दिक्कत है।” हाल में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा था कि पिछले 10 वर्षों के दौरान भारत में दूध उत्पादन में औसतन 4.2 प्रतिशत वार्षिक की वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी कहा था कि “लक्ष्य वर्ष 2022 तक इस उपलब्धता को 330 ग्राम प्रतिदिन से बढ़ाकर 500 ग्राम प्रतिदिन करने की है।” जहां दूध चुनावी मुद्दा बना हुआ है, वहीं पशुपालकों को अलग समस्या है।

लखनऊ जिले के सरोजनी ब्लॉक के बिजनौर गाँव के मयंक अग्रवाल(30 वर्ष) डेयरी किसान हैं। पिछले दो सालों से डेयरी चला रहे मंयक बताते हैं, “सरकार चाहे जो भी आए बस दूध के रेट सही मिले। हम लोगों की सबसे बड़ी परेशानी यही है कि जितनी लागत लगती है उतना दूध का रेट नहीं मिल पाता है।”मंयक आगे बताते हैं, “कई डेयरी पालकों को दिक्कत डेयरी का दूध बेचने के लिए दिक्कत आती है।” वर्ष 2014-15 में 146 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ तो पिछले वर्ष 2013-14 में 137.69 मिलियन टन से 6.26 फीसदी बढ़ा।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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