मनरेगा मजदूरों को भी बीजेपी से उम्मीदें, चाहिए भरपूर काम

Swati ShuklaSwati Shukla   12 March 2017 1:05 PM GMT

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मनरेगा मजदूरों को भी बीजेपी से उम्मीदें, चाहिए भरपूर कामअब मोदी की सरकार से मजदूरों को उम्मीदे है कि उन्हें काम और मजदूरी मिलेगी।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। सिगरामऊ गाँव के रहने वाले रामखेलावन 56 वर्ष बताते है। “इस सरकार ने मनरेगा मजदूरों को न पैसा दिया न ही काम। जो हाल इस सरकार ने किया वो अब न हो इस लिए मोदी को वोट दिया है। आठ महीने से ज्यादा काम किए हो गया है। पैसा अभी तक नहीं मिला।”

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उत्तर प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) के तहत इस माह का डाटा 158.3 लाख है, कुल मनरेगा मजदूरों की संख्या 227.34 लाख है।जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर ग्राम पंचायत धावर के रहने वाले सुखराम लोदी बताते हैं, हमारे भाई के लड़के ने मनरेगा के तहत सड़क बनाने का काम किया था। लेकिन पैसा नहीं मिला। अब मोदी की सरकार से उम्मीदे है कि हमे काम और मजदूरी मिलेगी। बालागंज मजदूर मण्डी में काम के लिए आए मनरेगा मजदूरों ने कहा गाँव में काम नहीं मिला इसलिए मजदूर मण्डी आए हैं। गाँव के हालात बदलने के और तेजी से बढ़ रहे पलायन को रोकने के लिए गाँव में ही रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा की शुरुआत की थी। लेकिन वर्तमान समय में मनरेगा की हालत बहुत खराब है। मनरेगा मजदूरी समय पर नहीं मिलने की वजह से मनरेगा का काम बहुत कम हुआ।

जबकि पैसा देने की डेडलाइन 15 दिन की है। भुगतान में देरी, मानदेय को लगाने पड़ते हैं चक्कर मनरेगा में समय से भुगतान न होना भी इसकी बड़ी समस्या है। मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को 15 दिन के अंदर भुगतान हो जाना चाहिए। लेकिन 87 फीसदी इस समय सीमा के बाद ही होता है। रमेश कुमार 30 वर्ष बताते है, “गाँव में मनरेगा का कोई काम नहीं हो रहा है”

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