आशा बहू: खुद के घर में नहीं शौचालय, दूसरों को दे रही हैं सीख

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आशा बहू: खुद के घर में नहीं शौचालय, दूसरों को दे रही हैं सीखआशा कार्यकत्री नीलम त्रिपाठी लोगों को खुले में शौच न जाने के लिए प्रेरित करती हैं, लेकिन उनके ही घर में शौचालय नहीं बनाया जा सका है।

किशन कुमार (स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क)

रायबरेली। हमारे घर में तो शौचालय है नहीं, पड़ोस के घर में बना है। उनसे मान-मनौव्वल कर के उन्हीं का उपयोग करती हूं। उनकी हर तरह से खुशामत करनी पड़ती है कि कहीं नाराज न हो जाये। यह कहना है हरचन्दपुर ब्लॉक के पूरे मेहंदी गाँव की आशा कार्यकत्री नीलम त्रिपाठी (32) का। वह कहती हैं, हम लोग सभी महिलाओें को स्वास्थ्य और साफ-सफाई रखने के लिये जागरूक करते हैं, जबकि हमारे खुद के घर में शौचालय नहीं है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर शौचालय बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिये शासन-प्रशासन की तरफ से युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है। गाँव-गाँव में टीम बनाकर लोगों को खुले में शौच मुक्त गाँव बनाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। शासन द्वारा शौचालय बनाने के लिये 12 हजार रूपये की धनराशि भी दी जा रही है। इतने बड़े अभियान में गृह स्तर की स्वास्थ्य कार्यकत्री आशा की महत्वपूर्ण भूमिका है, परन्तु लाभार्थी चयन करते समय इस महत्वपूर्ण कड़ी को नजर अंदाज किया जा रहा है।

स्वच्छ भारत मिशन के इस महाअभियान में सबसे पहले तो आशा कार्यकत्री के घर में शौचालय बनवाना चाहिये ताकि वो अन्य लोगों को प्रेरित कर सकें और इस अभियान का हिस्सा बन सकें।
आरती सिंह, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, हरचन्दपुर सीएचसी

केवल नीलम ही नहीं, बल्कि सुषमा बाजपेई (48 वर्ष) ग्राम सभा बड़ा पूरा की आषा कार्यकत्री हैं। सुषमा की पांच बेटियां हैं। सुषमा कहती हैं कि मरीज और अस्पताल के चक्कर में वक्त-बेवक्त घर से बाहर रहना पड़ता है, सयानी लड़कियां शौच के लिये बाहर जाती हैं तो चिन्ता लगी रहती है। इतना ही नहीं, कुछ ऐसी ही दिक्कतें बताती हैं डिघौरा ग्राम सभा की आशा कार्यकत्री पुष्पा देवी (49) और मझिगवाँ की सुमन शुक्ला (35) कहती हैं कि जब घर में कोई मेहमान आ जाता है तो बड़ी शर्म आती है कि हमारे घर में शौचालय नहीं है। डिघौरा की पुष्पा देवी तो यहां तक कहती हैं कि जब किसी को संक्रमण की बीमारियों के खतरे बताते हुये खुले में शौच जाने से मना करती हैं तो बड़ी झेप लगती है कि खुद खुले में शौच जाती हूं और इन्हें सिखा रही हूं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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