अधिक कृषि क्षेत्रफल वाले जिलों में खुलेंगे नए ‘कृषि विज्ञान केंद्र’

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   16 May 2017 1:17 PM GMT

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अधिक कृषि  क्षेत्रफल वाले जिलों में खुलेंगे नए ‘कृषि विज्ञान केंद्र’खेती तकनीकों की जानकारी देने के लिए ‘कृषि विज्ञान केंद्र’ की अतिरिक्त शाखाएं खुलेंगी।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश में अधिक से अधिक किसानों तक खेती की नई जानकारियां पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने अधिक क्षेत्रफल वाले जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) की अतिरिक्त शाखाएं खोलने का निर्णय लिया है। रायबरेली जिले में चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र विक्रम सिंह जिलों में नए केवीके के खोले जाने को किसानों के लिए बेहद लाभदायक मानते हैं।

डॉ. शैलेंद्र बताते हैं कि ‘’जिले में नए केवीके को खोले जाने के लिए काफी समय से सरकार से बातचीत चल रही थी। नया केवीके खुलने से सभी ब्लॉकों के अधिक से अधिक किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों और योजनाओं के बारे में पता चल पाएगा।’’ रायबरेली जिले में 1.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है। ऐसे क्षेत्रों में किसानों को इसका सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा।

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केंद्र सरकार ने किसानों को अधिक से अधिक सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने के लिए उत्तर प्रदेश में 20 नए केवीके खोलने का निर्णय लिया है। इन कृषि विज्ञान केंद्रों में सात जिलों में नए केंद्र खोले जाएंगे, जबकि 13 जिलों में अधिक क्षेत्रफल होने के कारण एक-एक अतिरिक्त केंद्र खोला जाएगा।

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प्रदेश में सबसे अधिक वनक्षेत्र बहराइच जिले में है। जिले में मुख्यालय पर नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र से आसपास के ब्लॉकों के किसानों को मदद मिल रही थी, लेकिन वनक्षेत्रों में केवीके की पहुंच अभी भी कम थी। जिले में नए केवीके के खोले जाने से आखिरी छोर पर बसे ब्लॉकों के किसानों को फायदा हो सकता है।

नए केवीके को लेकर बहराइच की सीमा पर बसे गाँवों में खेती-किसानी में सुधार आने की बात कहते हुए कृषि विज्ञान केंद्र, बहराइच के परियोजना अधिकारी डॉ. ओम प्रकाश बताते हैं, ‘’जिले की सीमा पर बसे मिहीपुरवा, बिछिया और कर्तनिया घाट क्षेत्रों में अभी भी खेती-बाड़ी के प्रति लोग कम जागरूक हैं। नए केवीके की मदद से नेपाल बार्डर पर बसे गाँवों के किसानों को लाभ मिलेगा।’’

जिले की सीमा पर बसे मिहीपुरवा, बिछिया और कर्तनिया घाट क्षेत्रों में अभी भी खेती-बाड़ी के प्रति लोग कम जागरूक हैं। नए केवीके की मदद से नेपाल बार्डर पर बसे गाँवों के किसानों को लाभ मिलेगा।
डॉ. ओम प्रकाश, परियोजना अधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र, बहराइच

बहराइच जिले में मुख्यरूप से धान, मक्का, गेहूं और चना (सफ़ेद चना) की खेती की जाती है। पिछली सरकार में ज़्यादा क्षेत्रफल वाले जिलों में अतिरिक्त केविके खोले जाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन ज़मीन न उपलब्ध होने के कारण यह फैसला धरातल पर नहीं उतर सका। नई सरकार ने अब प्रत्येक जिलों में कृषि विभाग व गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से नए केंद्रों के लिए ज़मीन उपलब्ध करवा दी है। सुल्तानपुर जिले में प्रदेश का सबसे पुराना कृषि विज्ञान केंद्र कमला नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट ने स्थापित किया था।

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किसानों को आसानी से मिलेंगी कृषि की जानकारियां

जिले में नए केवीके बनाए जाने के फैसले को सराहते हुए सुल्तानपुर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. ऐके सिंह ने बताया, ‘’सुल्तानपुर जिले में अभी 14 ब्लॉकों में आठ ब्लॉकों तक हमारे केवीके की पहुंच है। नया केवीके जिले को संक्शन हो गया है। नया केंद्र खुल जाने से हमारी पहुंच अर्जुनगंज, दोस्तपुर और करौंदीकला जैसे ब्लॉकों तक हो जाएगी। इससे जिले में अधिकतर किसानों को उन्नत कृषि की जानकारियां आसानी से पहुंचाई जा सकेंगी।’’

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