नीलगायों की वजह से वाराणसी में घट रहा दलहन उत्पादन

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   29 Jan 2017 1:29 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
नीलगायों की वजह से वाराणसी में घट रहा दलहन उत्पादनस्थानीय किसानों के मुताबिक जिले में वन विभाग की टीमें गाँवों में नीलगायों के झुंडों को भगाने के लिए गाँव-गाँव जाकर अभियान चला रही हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

वाराणसी। रमेश सिंह (45 वर्ष) सुबह उठकर जब अपने खेत पर पहुंचे, तो उनके अरहर के खेत का आधा हिस्सा पूरी तरह से बर्बाद हो चुका था।

वाराणसी जिले के चोलापुर ब्लॉक के डोमरी गाँव में डेढ़ एकड़ खेत में अरहर की खेती कर रहे किसान रमेश सिंह बताते हैं, “अरहर की फसल में बहुत मेहनत लगती है। जुलाई में बुवाई किया था इस बार बारिश भी अच्छी हुई थी पर जब फसल में फूल आना शुरू हुआ तो नीलगायों ने सब बर्बाद कर दिया।” कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश के मुताबिक प्रदेश में हर वर्ष 10,000 से ज्यादा किसान नीलगायों से फसल खराब होने की शिकायत करते हैं।

नीलगायों की सबसे अधिक संख्या ललितपुर जिले में है। पूरे बुंदेलखंड में चौदह हज़ार से अधिक नीलगाय हैं। तारापुर गाँव के किसान वीरेंद्र लोधी (50 वर्ष) बताते हैं, “इस बार फसल अच्छी हुई थी, सोचा था कि तीन एकड़ खेत में 15 कुंतल तक अरहर आसानी से हो जाएगी, लेकिन घड़रोज (नीलगाय) के झुंड ने फसल खराब कर दी है। अब तो पांच कुंतल मिलना भी मुश्किल लग रहा है।”

वन विभाग की टीमें भगा रहीं नीलगाय

स्थानीय किसानों के मुताबिक जिले में वन विभाग की टीमें गाँवों में नीलगायों के झुंडों को भगाने के लिए गाँव-गाँव जाकर अभियान चला रही हैं। इस अभियान के तहत नीलगायों को गंगा की कछार में बसे जंगलों तक खड़ेता जाता है। जिले के चोलापुर ब्लॉक में डोमरी व तारापुर जैसे गाँव गंगा की तलहटी पर ही बसे हुए हैं। ऐसे में बाहरी गाँवों से खदेड़े गए घड़रोज इन गाँवों में एकाएक बढ़ गए हैं।

अरहर की खेती को लेकर किसान का घट राह रुझान

गाँवों में नीलगायों की समस्या अधिक होने से किसानों के बीच अरहर की खेती का रुझान घट रहा है। मौजूदा हालात बताते हुए जिला कृषि अधिकारी सुभाष मौर्य बताते हैं कि हमें पिछले कई वर्षों से नीलगायों के कारण फसल बर्बादी के केस मिल रहे हैं। दलहनी फसलों का उत्पादन घटा है। हालांकि किसान अपने बीडीओ की पर्मीशन लेकर इन जीवों मार सकते हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.