‘बिजली नहीं तो वोट नहीं’

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‘बिजली नहीं तो वोट नहीं’आजादी के 70 वर्ष बाद भी ग्रामीण बिजली से वंचित। लोगों ने इस बार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की ठानी।

नवीन द्विवेदी, स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

अचलगंज (उन्नाव)। आजादी के बाद से उपेक्षा का दंश झेल रहे पचोड्डा ग्राम पंचायत के मजरा सरांय के लोगों ने इस बार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की ठान ली है। ‘बिजली नहीं तो वोट नहीं’ का बैनर गाँव के मुख्य द्वार पर टांग दिया गया।

ग्रामीणों के तमाम प्रयासों के बाद भी गाँव का विद्युतीकरण अब तक नहीं हो सका है। सिर्फ आश्वासनों की घुट्टी पीकर थक चुके ग्रामीणों ने चुनाव से पहले अपनी आवाज बुलंद करने के लिए यह राह पकड़ी है। विकास की मुख्यधारा से दूर इस गाँव में 20 वर्ष पहले मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार में गाँव तक जाने के लिए सड़क बनी थी। वह सड़क अब मरम्मत के आभाव में टूट गयी है। आजादी के 70 वर्ष बाद भी यहां के लोग बिजली से वंचित हैं। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर यहां के लोगों ने फिर कोशिश शुरू की।

प्रधानमंत्री विद्युतीकरण योजना में इस गाँव को चयनित भी किया गया। ठेकेदार ने गाँव में खम्भे भी गिराए, लेकिन फिर भी इस गाँव को बिजली नसीब नहीं हुई। खम्भे डालने के बाद फिर ठेकेदार ने इस गाँव का रुख नहीं किया। तब यहां के नागरिकों ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को फैक्स करके विद्युतीकरण कराने का अनुरोध किया, लेकिन फिर भी हल नहीं निकला। आखिर सपा सरकार के पांच साल भी पूरे हो गये।

बीडीसी महेश लोधी ने बैनर बनवाया और गाँव के प्रवेश द्वार पर लगा दिया। इसी गाँव से सटी ग्राम पंचायत गौरी त्रिभानपुर के प्रधान पति राजेश लोधी कहते हैं, “आजाद भारत के 70 वर्षों में गौरी किशुनपुर, शंकर खेड़ा सहित आधा दर्जन गाँवों को प्रदेश सरकारों ने सड़क, बिजली से वंचित करके सौतेला व्यवहार किया है, लेकिन अब गाँव वाले जाग गए हैं।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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