शहर में हर कदम पर पॉलीथीन, बंदी के आदेश हवा में 

Shrivats AwasthiShrivats Awasthi   17 May 2017 1:41 PM GMT

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शहर में हर कदम पर पॉलीथीन, बंदी के आदेश हवा में साभार: इंटरनेट 

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

उन्नाव। शहर में हर कदम पर पॉलीथीन का धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार हैं कि पॉलीथीन के प्रयोग पर पूरी तरह से लगाम लगाने या उसे कम करने की ओर कोई प्रयास नहीं कर रहे। पर्यावरण के लिए पॉलीथीन बहुत ही हानिकारक है। यह जमीन की उर्वराशक्ति को कमजोर तो करती ही है साथ ही पर्यावरण की साइकिल पर भी ब्रेक लगा देती है।

पॉलीथीन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए शासन ने कई बार कदम उठाए और पॉलीथीन की बिक्री को रोकने के लिए आदेश जारी किए, लेकिन धरातल पर उनका अनुपालन नहीं हो सका। पॉलीथीन की बिक्री और उसके उपयोग को रोकने के लिए कुछ दिनों के लिए सख्ती की गई, लेकिन समय बीतने के साथ ही सब कुछ फिर से पहले जैसा हो गया, जिससे पॉलीथीन के प्रयोग पर लगाम नहीं लग पाई।

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शहर के बड़े चौराहा पर किराने की दुकान करने वाले रमेश (31 वर्ष) बताते हैं, “मैं पॉलीथीन का प्रयोग करने के लिए मजबूर हूं। पॉलीथीन बीस से पच्चीस पैसे में पड़ती है। जबकि जूट का बैग पांच रुपए का आता है। ऐसे में कस्टमर को सामान ले जाने के लिए पॉलीथीन ही उपलब्ध कराता हूं।”

गांधी नगर निवासी दुकानदार अंकित अरोड़ा (28 वर्ष) का कहना है, “बाजार में खरीददारी करने के लिए आने वाले ग्राहक भी घर से किसी तरह का बैग नहीं लाते, जिससे उन्हें मजबूरन पॉलीथीन के बैग ही सामान के लिए देने पड़ते हैं।”

समय-समय पर पॉलीथीन की बिक्री रोकने के लिए अभियान चलाया जाता है। जल्द ही शहर में दोबारा अभियान छेड़ा जाएगा।
मुकेश मिश्रा, अधिशाषी अधिकारी, नगर पालिका

नालियां चोक, फैल रहीं बीमारियां

पॉलीथीन लोगों के लिए जितनी अधिक सुविधाजनक है उससे कहीं अधिक यह समस्या खड़ी कर रही है। पॉलीथीन के बड़े स्तर पर प्रयोग शहर को जाने अनजाने में बड़ी समस्याओं की सौगात दे रहा है। जिसमें नालियां चोक होने के साथ ही बीमारियां भी फैल रही हैं। प्रयोग के बाद पॉलीथीन को फेंक दिया जाता है। जिससे पॉलीथीन नालियों में जाकर उन्हें चोक कर देती हैं और बाद में बीमारियां फैलती हैं। शहर में बदबू, सड़ांध और मच्छर जैसी तमाम समस्याएं को पैदा करने में पॉलीथीन अहम रोल अदा कर रही हैं।

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पॉलीथीन से होने वाले नुकसान

पॉलीथीन का कचरा जलाने पर कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड जैसी विषैली गैसें निकलती हैं जो पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं। पॉलीथीन कभी नष्ट नहीं होती इसलिए यह जमीन की उर्वराशक्ति को बहुत नुकसान पहुंचाती है। पॉलीथीन प्रोडक्ट में प्रयोग होने वाला बिस्फेनॉल कैमिकल ह्यूमन बॉडी में डायबिटीज व लीवर एंजाइम को प्रभावित कर देता है। इससे कैंसर, सांस, स्किन और खून में थेलेटस की मात्रा बढ़ जाती है।

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