अब उर्वरक की दुकानों पर लग रही हैं पीओएस मशीनें
Divendra Singh 20 April 2017 12:32 PM GMT
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। अब राशन की दुकानों की तरह ही उर्वरक की दुकानों पर भी पीओएस मशीन लगाई जा रही है, जिसे किसानों के आधार कार्ड से जोड़ा जा रहा है। मशीन में किसान का पूरा डाटा रहेगा कि किसान ने कितना उर्वरक लिया है, इससे धांधली नहीं हो पाएगी।
एलपीजी सिलेंडरों की सब्सिडी की तरह अब खाद खरीदने वाले किसानों के बैंक खाते में भी सब्सिडी की रकम सीधे पहुंचेगी। इसके लिए सभी खाद विक्रेताओं को पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीनें दी जा रही हैं। इसके जरिए डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों को सीधे फायदा पहुंचेगा।
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प्रदेश में कुल 37 हजार 48 उर्वरक की दुकानें हैं जहां पर पीओएस मशीनें लगाई जा रहीं हैं और दुकान संचालकों को पीओएस मशीन चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसके लिए उवर्रक कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह उर्वरक विक्रेताओं को पीओएस उपलब्ध कराएं। प्रदेश में इफको को ये जिम्मेदारी दी गई है।
फर्टिलाइजर्स मैनेजमेन्ट सिस्टम (एफएमएस) में पंजीकृत उर्वरक विक्रेताओं की संख्या के आधार पर ही पीओएस मशीन की संख्या का निर्धारण किया गया है। उसी के अनुसार पीओएस मशीन के स्थापना के लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं।
संयुक्त कृषि निदेशक आगे बताते हैं, “भविष्य में किसानों की खेत के मृदा स्वास्थ्य कार्ड की जांच रिपोर्ट भी इस मशीन में फीड की जाएगी, जिससे किसान की जमीन के रकबे के हिसाब से उर्वरक दिया जाएगा।” उर्वरक खरीदने के बाद डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए सीधे किसानों के खाते में सब्सिडी की राशि भेजी जाएगी। पीओएस मशीनों के माध्यम से उर्वरक खरीदने के लिए किसानों को अब अपना आधार कार्ड लेकर लाना होगा।
क्या है पीओएस मशीन
पीओएस मशीन को प्वाइंट ऑफ सेल मशीन कहा जाता है। यह मशीन ऑनलाइन सिस्टम से जुड़ी होती है। मशीन को ऑपरेट करने के लिए उर्वरक विक्रेताओं को लॉगइन आईडी व पासवर्ड दिया जाएगा। हर दुकान का एक अलग पासवर्ड व आईडी होगी। इस मशीन को वही ऑपरेट कर पाएगा जिसके पास पासवर्ड होगा। उर्वरक लेने गए किसान का सबसे पहले उसके अंगूठे का निशान लिया जाएगा। इस निशान की स्केनिंग मशीन अपने पास उपलब्ध डाटा से मैच करेगी। यदि अंगूठे का निशान मैच होता है तो ही मशीन प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी वरना प्रक्रिया रुक जाएगी।
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