छोटी जोत के किसानों के लिए असरदार है पावर टिलर
Deepanshu Mishra 19 April 2017 9:52 PM GMT

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। बाराबंकी जिले के दौलतपुर गाँव में 60 एकड़ क्षेत्र में केले की उन्नत खेती कर रहे राम शरण वर्मा (55 वर्ष) फसल में जुताई और खाद को मिट्टी में मिलाने जैसे कार्यों को पावर टिलर मशीन की मदद से कर लेते हैं। इस मशीन की मदद से उन्हें केले की अच्छी पैदावार तो मिल रही है।
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किसान राम शरण वर्मा बताते हैं,’’ हमारे पास 14 हार्स पावर के तीन पावर टिलर हैं। पावर टिलर की मदद से हम अब बड़ी आसानी से खेत की जुताई और खरपतवार हटाने जैसे काम कर लेते हैं।’’
बाज़ार में 18 इंच से लेकर 36 इंच तक के आकार के पावर टिलर मौजूद हैं। पावर टिलर पांच हार्स पॉवर से लेकर ग्याराह हार्स पावर तक की क्षमता में आते हैं। इसमें मेड़ों के हिसाब से ब्लेडों को एड्जस्ट करने की सुविधा भी होती है,जिससे यह बड़ी ही आसानी से गन्ने की छोटी मेड़ों के बीच भी चलाया जा सकता है। इसकी कीमत मशीन की कुल क्षमता पर आधारित होती है।यह मशीन 50 हज़ार रुपए से लेकर पांच लाख रुपए में उप्लब्ध है।
रायबरेली जिले के विशाल चौधरी (37 वर्ष) टमाटर की खेती करते हैं।पहले उन्हें अपने खेत की तैयारी करने में काफी समय लग जाता था लेकिन अब उन्होंने नया पावर टिलर ले लिया है, जिससे वो खेती में समय के साथ साथ अपनी लागत भी बचा लेते हैं।
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रायबरेली जिला मुख्यालय से 50 किमी दक्षिण दिशा में सतांव व्लॉक के बथुआ गाँव में सब्जियों की खेती बड़े स्तर पर होती है। यहां के किसान ज़्यादातर टमाटर, मूली, गाजर, केला व गन्ने जैसी फसलों को उगाते हैं। बथुआ गाँव में पच्चीस बीघे में टमाटर की खेती करने वाले विशाल चौधरी बताते हैं, ‘’तीन साल पहले दिल्ली से पांच हार्स पावर का पावर टिलर खरीदकर लाए थें। पावर टिलर की मदद से खेत की गुड़ाई व निराई जैसे काम अकेले ही कर लेता हूं।’’‘’ एक हेक्टेयर खेत में मजदूरी का खर्चा मिलाकर 1,500 रुपए का खर्च बैठता था, लेकिन पावर टिलर से ढेड़ बीघे का खेत तैयार करने में तीन लीटर पेट्रोल लगता है, जिससे एक हेक्टेयर में ज़्यादा से ज़्यादा 800 से 1000 रुपए का खर्च आता है।’’
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