जर्जर भवन में चल रहा है प्राथमिक विद्यालय

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जर्जर भवन में चल रहा है प्राथमिक विद्यालयस्कूल का भवन गिरने की कगार पर।

नीरज मिश्रा

हैदरगढ़ (बाराबंकी)। हैदरगढ़ रायबरेली रोड पर स्थित जूनियर हाई स्कूल कबूलपुर आज के इस आधुनिक युग मे भी अपनी दशा पर रो रहा है । स्कूल जिस भवन में चल रहा है वो सन 1979 का बना हुआ है। इतना पुराना होने के कारण एकदम जर्जर हालत में है दीवारों पर दरारें साफ दिखाई देती है तथा प्लास्टर भी नाम मात्र का ही है।

इस भवन को देखकर तो यही लगता है की अभी गिरा। नए भवनों में एक भूकंपरोधी कक्ष बनाया गया है जिसमे की कक्षा 7 के बच्चे पढ़ते है तथा एक अतिरिक्त कक्ष है जिसमे की कक्षा 8 के बच्चे पढ़ते है। बाकी सारी कक्षाएं जर्जर भवन के बरामदे में एक साथ संचालित की जाती है। विद्यालय भवन इतना जर्जर होने के कारण अभिभावक अपने बच्चों को लेकर हमेशा चिन्तित रहते हैं । परंतु इसके विपरीत उपलब्ध अध्यापकों की मेहनत की वजह से इस विद्यालय मे कुल 150 बच्चे पंजीकृत हैं तथा स्कूल में उपस्थित स्टाॅफ ने हमें बताया कि मौजूदा सत्र में 95 नए विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। अभी हाल में ही बनाई गई बाउंड्री वाल भी कई जगह से ध्वस्त हो चुकी है, जिससे कि मवेशी विद्यलय में जुगाली करते देखे जा सकते हैं।

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35 बच्चों पर एक सहायक अध्यापक की तैनाती का है नियम

इस विद्यालय में स्टाफ के नाम पर तीन अध्यापक हैं। अनुदेशक प्रमोद कुमार व आरती वर्मा तथा एक सहायक अध्यापक राम श्री शुक्ला की तैनाती है। सहायक अध्यापक की ड्यूटी पूर्व माध्यमिक विद्यलय बेलवा में है और इनको यहां पर शिक्षण कार्य के लिए अटैच किया गया है।

शिक्षिका आरती वर्मा ने बताया,“ नियम के अनुसार किसी भी अध्यापक को 15 दिन से ज्यादा दूसरे विद्यलय में नहीं अटैच किया जा सकता, लेकिन इनका अटैचमेंट 2013 से ही है। बिना प्रधानाध्यापक के ही विद्यालय चल रहा है ।”

वहीं राम श्री शुक्ला बताया,“ यहां पर गणित और विज्ञान के लिए सहायक अध्यापक सत्यदेव त्रिपाठी की नियुक्ति है , लेकिन विभागीय पहचान होने के कारण उन्होंने अपनी ड्यूटी बीआरसी में लगवा रखी है, जिससे कि यहां पर गणित और विज्ञान के लिए कोई भी अध्यापक उपलब्ध नहीं है। कोई जिम्मेदार न होने के कारण विद्यालय में अव्यवस्था फैली है। ”

स्कूल में टीचर की भी कमी।

सीमित संसाधनों में भी दी जा रही है शिक्षा

यहाँ पर तैनात अनुदेशक प्रमोद कुमार ने बताया,“ यहां पर संसाधनों की काफी कमी है न ही बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था है और न ही उचित शिक्षण सामग्री की। विद्यालय भवन भी इतना जर्जर है कि डर लग रहता है। इसके बावजूद अभी हम लोगों ने चंदा लगाकर एक व्हाइट बोर्ड खरीदा है, जिस पर बच्चों को पढ़ाया जाता है। ”

नहीं बांटी गई किताबें और ड्रेस

शिक्षण सत्र शुरू हुए पूरा एक महीना बीत चुका है, लेकिन यहां पर न ही अभी तक बच्चों को किताबें दी गयी है न ही ड्रेस। प्रमोद कुमार बताते हैं, “ इसकी बजह से बच्चों की पढ़ाई न बाधित हो इसके लिए पूर्व के विद्यार्थियों से पुरानी किताबें लेकर बच्चों को पढ़ाई के लिए उपलब्ध करवाई गई है। किंतु ड्रेस न वितरित होने के कारण बच्चे रंग बिरंगे परिधान पहन कर आने को मजबूर हैं।”

इस पूरे मामले पर खंड शिक्षा अधिकारी आरके द्विवेदी का कहना है, "भवन के लिए संस्तुति सासन को भेजी गई थी जो कि स्वीकृति हो गयी है जल्द ही परिसर में अतिरिक्त कक्षों का निर्माण करवाया जाएगा। स्टाफ समायोजन पर रोक होने के कारण वहां पर टीचर को अटैच किया जा रहा है जिससे शिक्षण व्यवस्था न बाधित हो तथा एक टीचर को और अटैच करके उनके नाम खाता ट्रांसफर कर दिया गया है जिससे कि शिक्षण व्यवस्था बाधित न हो। किताबें और ड्रेस कुछ बच्चो को बांट दिए गए है। सत्यदेव त्रिपाठी जी डेपुटेशन पर एबीआरसी के पद पर बीआरसी में तैनात है। एमडीएम 1 अगस्त से शुरू करवा दिया गया है।"

       

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