प्रत्याशियों को गिना रहे क्षेत्र की समस्याएं 

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   16 Feb 2017 3:20 PM GMT

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प्रत्याशियों को गिना रहे क्षेत्र की समस्याएं जिले में सूचना अधिकार अभियान उत्तरप्रदेश और वाराणसी के गाँवों में की जनता के साथ चुनाव से पहले प्रत्याशियों से सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जा रही है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

वाराणसी। जिले में सूचना अधिकार अभियान उत्तरप्रदेश और वाराणसी के गाँवों में की जनता के साथ चुनाव से पहले प्रत्याशियों से सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जा रही है। इन समूह चर्चाओं के दौरान जिले में कई राजनैतिक दलों और स्वतंत्र उम्मीदवारों से यह अपील की जा रही है कि चुनाव प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार मंं काशी के सामाजिक मुद्दों को उठाएं।

राजनैतिक दलों को समाज के साथ काम करने की बात कहते हुए सूचना अधिकार अभियान, वाराणसी के क्षेत्रीय अधिकारी हरिप्रकाश पाण्डेय बताते हैं,’’ हमने पूरे जिले में चुनाव प्रत्याशियों के अंतर्गत आने वाले गाँवों और मूलभूत सुविधाओं का खांका तैयार किया है। गाँवों की अधिकतर समस्याएं चुनावों में सामने आती हैं, पर चुनाव बीत जाने के बाद ये भुला दी जाती हैं। हम प्रत्याशियों से मिलकर उन्हें उनके क्षेत्र की समस्याएं उन्हें बताते हैं और उनसे इन समस्याओं पर विचार करने का आग्रह करते हैं।’’

वाराणसी में सूचना अधिकार अभियान के अंतर्गत मुख्य रूप से बनारस के सभी कुंडों, जलाशयों, तालाबों व अन्य जलस्रोतों पर अवैध अतिक्रमण को हटाए जाने, गंगा के साथ-साथ असि, वरुणा, नाद और गोमती नदियों को भी प्रदुषण मुक्त करने और गाँवों व नगरों में सड़क, गली, पार्क, चौराहा, फौव्वारा, धरोहर, घाट, सारनाथ, रामनगर, लमही, खेवली, कैथी आदि का वाराणसी की ऐतिहासिक और पौराणिक क्षेत्रों के सुन्दरीकरण जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया है।

चुनाव प्रत्याशियों को उनके क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराने को अहम बताते हुए इस अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता दीन दयाल सिंह बताते हैं,’’ वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी का खिलौना उद्योग, माला, अचार, हस्तकला , मछुआरा व बुनकर जैसे छोटे कुटीर कुटीर उद्योगों के संरक्षण के मुद्दे को चुनाव प्रचार में प्रमुखता से उठाने की ज़रूरत है। इससे काशी की विलुप्त होती कलाएं फिर से जीवित की जा सकेंगी।’’

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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