पपीते की रेड लेडी किस्म में पैदावार ज्यादा

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पपीते की रेड लेडी किस्म में पैदावार ज्यादाकम सिंचाई में होती है अच्छी फसल, किसान फरवरी से मार्च के बीच में कर सकते हैं खेती।

सुधा पाल, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश में बागवान नई और उत्तम किस्मों और तकनीकों से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, पपीते की ताइवानी किस्म रेड लेडी की खेती से साधारण किस्मों के मुकाबले ज्यादा मुनाफा होता है, क्योंकि इसमें उत्पादन ज्यादा होता है।

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दूसरे के पपीते की किस्मों में नर और मादा फूल अलग-अलग होते हैं, लेकिन इस किस्म में ऐसा नहीं है। इसमें फूलों का आना 100 फीसदी तय होता है।
सुशील कुमार शर्मा, पौध संरक्षण अधिकारी, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग

शर्मा आगे बताते हैं “फरवरी और मार्च के बीच इसकी खेती की जा सकती है। एक बार फसल तैयार होने के बाद तीन साल तक उत्पादन आसानी से लिया जा सकता है। एक हेक्टेयर से किसान 600 क्विंटल से ज्यादा ही फल का उत्पादन कर सकता है।”

इसकी खेती में पौधों को ज्यादा सिंचाई की भी जरूरत नहीं होती है। ड्रिप तकनीक का उपयोग भी इस खेती में किया जा सकता है। सीतापुर के सिकौआ गाँव के पपीता उत्पादक श्वेतांत त्रिपाठी बताते हैं, “इसमें उत्पादन ज्यादा है लेकिन देखभाल भी जरूरी है। एक पेड़ से लगभग 60 किलो से ज्यादा के फल मिल जाते हैं जबकि बाकी दूसरी किस्मों में इतना नहीं है।”

पपीते की कुछ अन्य किस्में

पूसा (डेलीसियस, मेजस्टी, ड्वार्फ, जाइंट), वाशिंगटन, सोलो, हनीड्यू, सिलोन, कोयम्बटूर आदि प्रमुख किस्में है।

इन मंडलों में होती है खेती

देवीपाटन मंडल:- गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, लखनऊ मंडल:- लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी

फैजाबाद मंडल:- फैजाबाद, अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर, अमेठी, बाराबंकी

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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