स्वयं प्रोजेक्ट के तहत माहवारी की भ्रांतियों के बारे में किया गया जागरूक
Ashwani Kumar Dwivedi 5 March 2017 3:07 PM GMT
अश्वनी द्विवेदी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। शनिवार को गाँव कनेक्शन ‘स्वयं प्रोजेक्ट’ की ओर से छात्राओं को माहवारी के दौरान शारीरिक परिवर्तन के बारे में अहम जानकारियां दी गई। जिला मुख्यालय से करीब 12 किमी की दूरी पर मड़ियांव क्षेत्र के भरत नगर स्थित योगिता मांटेसरी स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान प्रोजेक्ट खेल संस्था की काउंसलर आयूषी श्रीवास्तव ने छात्राओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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इस दौरान आयूषी ने बताया कि मासिक धर्म को लेकर महिलाओं में तरह-तरह के मिथक हैं। आमतौर पर माहवारी के दौरान मंदिर न जाना, पूजा करने पर रोक, रसोई घर जाने पर रोक, अचार छूने पर रोक, यहाँ तक कि बहुत से परिवारों में तो माहवारी के दौरान महिलाओं के बिस्तर तक अलग कर दिए जाते हैं। यह वास्तव में मिथक और भ्रांतियां हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि मासिक धर्म शरीर में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इस दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आयूषी ने बताया कि माहवारी के दौरान कमजोरी से बचने के लिए दाल, हरी सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए।
हमारे समाज में आज भी महिला स्वास्थ्य पर बिल्कुल बात न करने की प्रथा चली आ रही है और खुद हम स्वयं और समाज के लोग माहवारी जैसे मुद्दे पर आज भी बात करने में संकोच और हिचक रखते हैं।वाईपी सिंह, प्रबंधक, योगिता मांटेसरी स्कूल
इधर प्रोजेक्ट खेल से जुड़े अमित ने छात्राओं को गुडटच और बैडटच के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया, “कोई भी वो स्पर्श जो आपको सही महसूस हो जैसे शिक्षक या माता-पिता अच्छी परफार्मेंस पर पीठ थपथपाते हैं, इस तरह के स्पर्श को गुड टच कहते हैं। वहीं, अकारण यदि कोई व्यक्ति शरीर को छूता है तो यह बैड टच की श्रेणी में आता है। ऐसे में जरूरी यह है कि हम बैड टच और गुड टच के बारे में जानकारी रखें और अपनी जीवन में सतर्क रहें।
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