सिद्धार्थनगर: अधिकारियों की उदासीनता के चलते नहीं हो पा रहा ग्रामीणों का विकास

Deena NathDeena Nath   30 May 2017 11:31 AM GMT

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सिद्धार्थनगर: अधिकारियों की उदासीनता के चलते नहीं हो पा रहा ग्रामीणों का विकासप्रशासनिक तंत्र की उदासीनता के चलते ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

दीनानाथ, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

सिद्धार्थनगर। ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए शासन ने कई बड़ी योजनाएं लागू कर रखी हैं, लेकिन जिम्मेदार प्रशासनिक तंत्र की उदासीनता के चलते ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्य करने के लिए अधिकारी व कर्मचारी कोई सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं।

कृषि में बदलाव के लिए शासन ने कई नये कार्यों को मनरेगा में शामिल किया था। इसमें केचुए की मदद से वर्मी कम्पोस्ट खाद के निर्माण के लिए बेड़ों का निर्माण किया जाना था। शासनादेश के बाद भी पिछले वित्तीय वर्ष में स्थानीय अधिकारियों ने वर्मी कम्पोस्ट खाद के निर्माण में कोई कार्य नहीं किया। यहां तक की शासन द्वारा दिए गये लक्ष्य को भी पूरा करने की जरूरत नहीं समझी गई।

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पिछले वर्ष चुनाव आदि के कारण कार्य में बाधा पड़ी थी, लेकिन जल्द ही कार्य शुरू करवाकर दोनों वर्ष के लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा।
संतोष कुमार, एपीओ मनरेगा

इसके लिए पिछली सरकार की उदासीनता को जिम्मेदार माना जा रहा था। इसलिए वर्तमान सरकार सत्ता में आयी तो उम्मीद थी कि आधिकारियों व कर्मचारियों का रवैया बदलेगा, लेकिन वर्तमान वित्तीय वर्ष का दूसरा महीना शुरू होने के बाद भी प्रशासन ग्रामीण विकास में रुचि नहीं ले रहे हैं।

जनपद के बढ़नी विकास खण्ड के ग्राम सेवरा के किसान अनंतराम पाठक (50 वर्ष) बताते हैं, ‘‘पिछले साल मनरेगा के कार्य योजना में वर्मी कम्पोस्ट खाद के निर्माण की जानकारी मिली थी। हमने दो कच्चे बेड़ों का निर्माण भी करा लिया, लेकिन बार-बार ग्राम पंचायत व ब्लाक पर कहने के बाद भी मनरेगा का लाभ नहीं मिला।” इस संदर्भ में एपीओ मनरेगा संतोष कुमार बताते हैं, “पिछले वर्ष चुनाव आदि के कारण कार्य में बाधा पड़ी थी, लेकिन जल्द ही कार्य शुरू करवाकर दोनों वर्ष के लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा।”

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