ग्रामीण छात्राएं पढ़ाई के साथ सीख रही आत्मरक्षा का हुनर

Neetu SinghNeetu Singh   26 March 2017 7:44 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
ग्रामीण छात्राएं पढ़ाई के साथ सीख रही आत्मरक्षा का हुनरआत्मरक्षा सीखती कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की छात्राएं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

शिवपुर (बहराइच)। यहां के गाँवों में लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से भले ही वंचित हों, लेकिन यहां की छात्राएं पढ़ाई के साथ आत्मरक्षा के गुण बखूबी सीख चुकी हैं। छेड़खानी करने वाले लड़कों से अब ये लड़कियां अपना बचाव करने के लिए खुद तैयार हैं।

बहराइच जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर पूर्व-दक्षिण दिशा में बेहड़ा गाँव में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय हैं। इस विद्यालय में आस-पास के 45 गाँव की 100 छात्राएं रहती हैं।

आत्मरक्षा सीखती छात्राएं।

आठवीं कक्षा की रोशनी वर्मा (14 वर्ष) ने आत्मविश्वास से कहा, "अब हम किसी से नहीं डरते हैं अगर हमें कोई छेड़ेगा हम तो अपनी सुरक्षा खुद कर सकतें हैं,जूड़ो-कराटे में हमने वो सारे स्टेप सीखे हैं जिससे अपनी रक्षा खुद की जा सके ।" रोशनी की तरह इस विद्यालय की 100 छात्राओं को कई सालों से आत्मरक्षा के गुण सिखाये जा रहे हैं ।

केन्द्र सरकार ने सर्वशिक्षा अभियान‎ को बढ़ावा देने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना के निर्देशन में देशभर में 750 आवासीय स्कूल खोलने का प्रावधान किया है। इन विद्यालयों में कम से कम 75 फीसदी सीटें अनुसूचित जाति व जनजाति, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वर्गों की बालिकाओं के लिए आरक्षित होती हैं बाकी 25 फीसदी गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवार की बालिकाओं के लिए है। इन छात्राओं को शैकक्षिणीक ज्ञान के साथ वैवहारिक ज्ञान पर खास ध्यान दिया जाता है।

छेड़खानी करने वाले लड़कों से अब ये लड़कियां अपना बचाव करने के लिए खुद तैयार हैं।

स्कूल में पढ़ने वाली वंदना सिंह (14 वर्ष) ने बताया, "हम अपने बालों में दो चिमटी हमेशा लगाये रहते हैं अगर कोई परेशान करेगा तो उसकी आंखों में दोनों चिमटी डाल देंगे,दोनों अगुंलियों से आंख फोड़ना, ठोड़ी के नीचे मारना, हेड पंच, अपर हुक, साइड हुक, ग्रिप, दोनों हाथों से कान बजाना जैसे तमाम तरीके जानते हैं, जिससे हम लड़कों से लड़ सकते हैं।"

"पहले मैं गाँव की सहमी सी लड़की थी,जबसे कस्तूरबा गाँधी में पढ़ने आयी हूं बहुत होशियार हो गयी हूं, पढ़ाई तो सीखी ही है साथ में नाटक, म्यूजिक, खेलकूद, जूड़ो कराटे सब कुछ अच्छे से आता है।" ये कहना है आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली किरन देवी का ।

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.