पति की मौत के बाद लोगों की निगाहों से बचने के लिए बदलना पड़ा हुलिया 

Neetu SinghNeetu Singh   22 May 2017 9:15 AM GMT

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पति की मौत के बाद लोगों की निगाहों से बचने के लिए बदलना पड़ा हुलिया कमला देवी, महिला किसान

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मुजफ्फरनगर। पति की मौत के बाद जब कमला देवी ने गुजर-बसर के लिए खेती-किसानी करने की सोची तो उन्हें अपना पहनावा तक बदलना पड़ा। रात में खेतों में पानी लगाने और अन्य कार्यों के लिए कमला देवी (58 वर्ष) को जाना पड़ता था, ऐसे में कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए उन्होंने अपना हुलिया बदल लिया।

“हमने अपने लम्बे बाल कटवा लिए, और पुरुषों की तरह कुर्ता पैजामा पहनना शुरू कर दिया।” मुजफ्फरनगर से 42 किमी दूर जानसठ ब्लॉक के मीरापुर दलपत गाँव में रहने वाली कमला देवी बताती हैं। कमला देवी अगर सिर पर गमछा बांध ले तो उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है कि वह एक महिला हैं।

कमला देवी बताती हैं,“शादी के सवा साल बाद पति का देहांत हो गया। उस समय मैं गर्भवती थी। ससुराल वाले देवर से शादी करवाना चाहते थे, पर मेरे विचार उनसे नहीं मिलते थे। मायके में जब ज़िंदगी गुजारने की सोची तो यहां खेतों में काम करना मजबूरी थी,”

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एक महिला रात में खेतों में पानी लगाने जाए ये हमारे समाज को मंजूर नहीं था पर जिन्दगी गुजारने के लिए खेतों में काम करना मेरी मजबूरी थी, इसलिए पहनावा ही बदल दिया।
कमला देवी, महिला किसान

“पति के देहांत के बाद हमारी तो वैसे ही ज़िंदगी उजड़ गई थी, जब बेटी ढाई साल की हो गई तो ससुरालवालों ने उसे अपने पास रख लिया। मुझे मेरे भाई के पास भेज दिया।” वह आगे बताती हैं, “सबसे छोटे भाई ने मुझे शरण दी, कुछ समय बाद पता चला कि उसे कैंसर है, उसके दो छोटे-छोटे बच्चे थे, घरवाले मुझे दोबारा शादी का दबाव बना रहे थे।

मेरी ज़िंदगी तो उजड़ ही गई थी मेरे भाई के मरने के बाद उसकी पत्नी और बच्चों का यही हाल होगा ये सोचकर मैंने शादी नहीं की।”कमला देवी के मायके में 45 बीघा जमीन थी, तीन भाई थे दो भाइयों के 30 बीघे खेतों की देखरेख कमला देवी ही करती हैं।

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वह आगे कहती हैं, “जिनके बच्चे पढ़-लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर बन जाते हैं वो अपने बूढ़े मां-बाप को अनाथालय में छोड़ देते हैं, मेरा तो कोई नहीं है। मुझे जब ये लोग निकालेंगे तो हम कहां शरण लेंगे। ये सोचकर मैंने अपने बारे में सोचना शुरू किया।”

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