स्कूल में दाखिले की दौड़ बन रही मानसिक तनाव की वजह

Meenal TingalMeenal Tingal   22 Feb 2017 1:46 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
स्कूल में दाखिले की दौड़ बन रही मानसिक तनाव की वजहस्कूल में दाखिले के लिए माता पिता के साथ बच्चे भी तनाव में आ रहे हैं

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। कमल कुमार पिछले कई दिनों से इस कोशिश में भागदौड़ कर रहे हैं कि उनके बच्चे का दाखिला सेंट्रल स्कूल में हो जाए। ये अकेले कमल कुमार की परेशानी नहीं है, आजकल अभिभावकों को बच्चों के एडमीशन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसकी वजह से बच्चे और अभिभावक दोनों मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं।

ऐसी ही सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

एक निजी कंपनी में नौकरी करने वाले कमल कुमार (36 वर्ष) कहते हैं, “प्राइवेट नौकरी करता हूं, दो बेटियों को अच्छे स्कूल में एक साथ पढ़ाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैं चाहता हूं कि उनको अच्छी शिक्षा मिल सके इसके लिए कोशिश कर रहा हूं।” आज के प्रतिस्पर्धा भरे युग में स्कूल में बच्चों का दाखिला कराना उनके अभिभावकों के लिए संघर्ष की सबसे पहली सीढ़ी बन गया है।

मेरे पास ऐसे कई केस आए हैं। इसके लिए मुझे अभिभावकों की काउंसिलिंग करनी पड़ी है। उनके जेहन में एक बात घर कर जाती है कि सबसे पहले उन्हें अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में प्रवेश दिलाना है। इसके लिए वह खुद तो तैयारी शुरू कर ही देते हैं बच्चे को भी सिखाना-पढ़ाना शुरू कर देते हैं। ताकि आसानी से अच्छे स्कूल में हो जाये।
डॉ. मधु पाठक, मनोरोग चिकित्सक व काउंसलर

मधू आगे कहती हैं, “इसके लिए माता-पिता इंटरव्यू के लिए जहां अपने बच्चे को प्ले हाउस का रास्ता दिखा देते हैं तो वहीं जाने-माने स्कूल में प्रवेश के लिए सोर्स से लेकर डोनेशन तक की व्यवस्था करने में लग जाते हैं।

ऐसा नहीं है कि केवल पहली बार दाखिले के लायक हुए बच्चों के साथ ऐसा होता है। कई बार किसी अन्य स्कूल में पढ़ रहे बच्चों का दाखिला दूसरे स्कूल में करवाने के लिए भी बड़ी कक्षाओं के बच्चों और उनके अभिभावकों को मानसिक तनाव में देखा है और उनकी काउंसिलिंग की है।”

अभिभावक मनोज निगम (47 वर्ष) कहते हैं, “मेरा एक ही बेटा है और मेरी चाहत थी कि मैं अपने बेटे को अच्छे स्कूल में दाखिला करवाऊं, लेकिन मेरी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है इसलिए बेटे को सामान्य स्कूल में पढ़ा रहा हूं। हालांकि मैं यह कोशिश कर रहा हूं कि इस वर्ष उसका दाखिला किसी मिशनरी स्कूल में करवा दूं, जिससे फीस भी कम पड़ेगी और शिक्षा भी अच्छी मिल सकेगी। इसके लिए पिछले कई दिनों से जुगत लगा रहा हूं। हालांकि यह भी सच है कि बहुत मानसिक तनाव में हूं लेकिन बच्चे के भविष्य के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा।”

अभिभावक स्कूल में दाखिले के लिए खुद तो तनाव में रहते ही हैं अपने बच्चों को भी मानसिक तनाव देते हैं। मेरे पास ऐसे कई केस आते हैं। अभिभावकों की काउंसिलिंग के दौरान मैं उनको सलाह देती हूं कि बच्चों के दिमाग पर ज्यादा तनाव न दें।
शाजिया सिद्दीकी, मनोचिकित्सक

ऐसा नहीं है कि मानसिक तनाव केवल अभिभावक ही बर्दाश्त कर रहे हैं। बच्चे भी अच्छे स्कूल में दाखिले के लिए मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। कक्षा सात में पढ़ने वाली शगुन गुप्ता (12 वर्ष) कहती हैं, “पहले हम दूसरे स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन पापा को वहां की पढ़ाई अच्छी नहीं लगी तो मेरा और मेरे छोटे भाई का एडमीशन वहां से निकालकर यहां करवा दिया था। अब पापा कहते हैं कि बहुत पढ़ाई करो क्योंकि और अच्छे स्कूल में एडमीशन करवाना है। सुबह स्कूल जाते हैं फिर स्कूल से आकर ट्यूशन पढ़ते हैं फिर भी देर रात तक पढ़ना पड़ता है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.