स्कूल के साथ गाँव के लोगों को भी सफाई के लिये जागरूक कर रही बच्चों की टोली

Neetu SinghNeetu Singh   20 Feb 2017 11:21 AM GMT

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स्कूल के साथ गाँव के लोगों को भी सफाई के लिये जागरूक कर रही बच्चों की टोलीस्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए अब लखनऊ जिले के आठ ब्लॉक के सरकारी स्कूल के बच्चों ने बीणा उठाया है।

नीतू सिंह/बसंत कुमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए अब लखनऊ जिले के आठ ब्लॉक के सरकारी स्कूल के बच्चों ने बीणा उठाया है। ये बच्चों की टोलियां न सिर्फ अपने स्कूल को स्वच्छ रखती है, बल्कि जिन गाँवों में रहते हैं, सप्ताह में एक दिन घर-घर जाकर साफ़-सफाई को लेकर जागरूक करते हैं।

हमारे पड़ोस में रहने वाले मंगलू रावत (50 वर्ष) ने हमारे कहने पर शौचालय बनवा लिया। असर्फीलाल बाबा ने अपने बंद पड़े शौचालय का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। गाँव के और कई लोग पानी ढककर रखने लगे।
दीपक रावत

लखनऊ के बख्शी का तालाब ब्लॉक में रहने वाले दीपक रावत (14 वर्ष) पूर्व माध्यमिक विद्यालय देवरइ कला में कक्षा आठ के छात्र हैं।

इस प्रोग्राम के जरिये कुछ स्कूल के बच्चों ने स्वच्छता कोष नाम की एक गुल्लक बनाई है, जिसमे सभी बच्चे और टीचर एक रुपये 15 या एक महीने में एक दिन डालते हैं। इन पैसों से स्कूल के लिए साबुन से लेकर और चीजों की देखरेख के लिए उपयोग किया जाता है। कुछ स्कूल की टीचर पूरी जिम्मेदारी खुद ही निभाती हैं। एक साल से काम चल रहा है। शुरुवात है, थोड़ी मुश्किलें आयी, लेकिन अभी बच्चे बहुत सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
सामिया जावेद अख्तर, गैर सरकारी संस्था वात्सल्य ‘वाश प्रोजेक्ट’ कोआर्डिनेट

बहुत बड़े परिवर्तन की तो बात नहीं कह सकते, लेकिन छोटी-छोटी आदतें बच्चे अपने व्यवहार परिवर्तन में ला रहे हैं।
अंकुर श्रीवास्तव, बख्शी का तालाब के क्लस्टर समन्यवक

लखनऊ जिले के आठ ब्लॉक के 80 स्कूल में 55 पूर्व माध्यमिक और 25 इंटर कालेज शामिल हैं, जिसमें हर स्कूल से दस बच्चों की एक टीम है। एक टीम में दस बच्चे हैं जिसमे पांच लड़कियाँ और पांच लड़के शामिल हैं, पर कई टीमो में लड़कियों की संख्या ज्यादा है।

ये “वाश बिग्रेड” पांच चीजों पर काम करती हैं जिसमे व्यक्तिगत स्वच्छता, स्वच्छ पेयजल का उपयोग व दूषित जल का निस्तारण, रसोईघर व कक्षाओं की स्वच्छता, शौचालय की स्वच्छता, पर्यावरण स्वच्छता पर काम करते हैं। टीम के दो बच्चों को एक जिम्मेदारी सौंपी जाती है। हर बच्चे के गाँव में उनके साथ पांच बच्चों की एक और टोली होती है, जो छुट्टी के दिन अपने पड़ोस के घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के लिए जागरूक करते हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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