ठंड में बारिश से खिले किसानों के चेहरे, फसलों को हो रहा फायदा

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ठंड में बारिश से खिले किसानों के चेहरे, फसलों को हो रहा फायदाकई जिलों में हो रही हल्की बारिश से रबी की फसलों को फायदा हो रहा है। 

करन पाल सिंह/दीपांशु मिश्रा

लखनऊ/सोनभद्र/बाराबंकी/सीतापुर। जनवरी माह में दो दिन से कई जिलों में हो रही हल्की-हल्की बारिश से किसानों को राहत दी है। हल्की बारिश से रबी की फसलों को फायदा हो रहा है, जिन फसलों को पानी की जरूरत थी उनकों पानी और जिन फसलों में रोग लगने की संभावना थी वो भी कम हो गई है।

बाराबंकी जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर निन्दूरा ब्लाक के सिमरी गाँव निवासी सुरेश यादव (45 वर्ष) बताते हैं, ‘मेरे पास दो एकड़ जमीन है। एक एकड़ में मसूर की खेती और एक एकड़ में गेहूं की फसल की है। पिछले दो दिन से हल्की फुहार जैसी बारिश हो रही है उससे मसूर और गेहूं की फसल को काफी फायदा पहुंच रहा है।’ बाराबंकी जिला कृषि संरक्षण अधिकारी डॉ. लल्लन सिंह यादव बताते हैं, ‘इस हल्की बूंदाबादी से किसी भी फसल को कोई भी नुकसान नहीं है। इस समय खेत की आर्द्रता कम हो रही थी जिससे फसलों में रोग लगने के आसार थे, लेकिन इस बारिश से आर्द्रता बढ़ गई है। तापमान बढ़ने के कारण जो दलहन की फसले सूख रही थीं उनको काफी फायदा हुआ है। बारिश से किसी भी फसल में कोई रोग लगने का डर नहीं है।’

जो बारिश हो रही है उसमें फसलों को नुकसान न के बराबर है। जिन फसलों में फूल आ गए हैं उनके लिए ये बारिश वरदान साबित हो रही है क्योंकि उन फसलों के विकास में वृद्धि होगी। अगर बारिश ज्यादा हो जाती है तो कुछ फसलों में नुकसान के आसार हैं।
डॉ. डीपी सिंह, उपनिदेशक कृषि विभाग, लखनऊ

खरीफ की फसलों की बंपर पैदावार और नोटबंदी के बाद फसलों को दाम न मिलने के कारण किसानों को अब रबी की फसलों पर निगाहें टिकी हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए रबी की फसल बहुत महत्वपूर्ण है। सीतापुर जिले के किसान अभिषेक शर्मा (38 वर्ष) बताते हैं, ‘दो बीघा टमाटर की खेती में पानी लगाने का समय हो गया था, लेकिन अच्छा ये रहा की लगातार दो दिन से हो रही धीमी-धीमी बारिश ने पानी की कमी पूरी कर दी। अगर पानी ज्यादा बरस गया तो नुकसान हो जाएगा। अभी टमाटर की खेती को फायदा हो रहा है।’ सोनभद्र जिले के दुद्धी के रहने वाले किसान बनवारी लाल (48 वर्ष) बताते हैं, ‘इस बारिश से जिसको खेत में पानी की आवश्यकता होगा उसके लिए सही है पर अधिक पानी गिरने के कारण हानि भी हो सकती है, जैसे सरसो, मटर, टमाटर, आलू जैसी खेती पर खराब असर पड़ सकता है।’

अगर हल्की बारिश हो रही है तो रबी की फसलों को नुकसान नहीं है। इस ठंड में हो रही हल्की बारिश से आलू और टमाटर में होने वाला झुलसा रोग लगने की भी संभावना कम हो गई है।
राजीव कुमार भारती, जिला कृषि अधिकारी, सोनभद्र

भारत में राज्यों से प्राप्त प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार बुवाई की गई रबी फसलों का कुल क्षेत्र 2015 के 545.46 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 582.87 लाख हेक्टेयर है। 292.39 लाख हेक्टेयर में गेहूं, 10.68 लाख हेक्टेयर में चावल, 148.11 लाख हेक्टेयर में दाल, 52.21 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाज और 79.48 लाख हेक्टेयर में तिलहन की बुवाई/रोपाई की गई है

बाराबंकी जिले के लोनार गाँव के पुतान सिंह (40 वर्ष) बताते हैं, ‘इस बरसात से गेंहू की फसल को तो बहुत फायदा हुआ है जो पानी हमे खुद से लगाना पड़ता वो बारिश ने खुद ही लगा दिया है। अरहर की फसल के लिए बहुत अच्छा हुआ। समय से पानी न मिलने के कारण जो दाल सूख रही थी वो अब सूखने से बच जाएगी।’

ये होती हैं रबी की फसलें

शीत ऋतु में होने वाली फसलें रबी की फसल कहलाती हैं जिनमें प्रमुख रूप से गेहूं, जौ, मटर, चना, सरसों, आलू, मसूर, टमाटर, बरसीन आदि की फसल होती है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

       

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