बीजोपचार से नहीं होगा फसल में कीट व रोगों का प्रकोप 

Divendra SinghDivendra Singh   5 March 2018 11:32 AM GMT

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बीजोपचार से नहीं होगा फसल में कीट  व रोगों का प्रकोप बीजोपचार है जरूरी

लखनऊ। खेती में उत्पादकता को बनाये रखने और फसल की वृद्धि में बीज की खास भूमिका होती है। ऐसे में किसानों को सही बीज के चयन के साथ ही उसका बीजोपचार भी करना चाहिए।

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केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक विनय कुमार मिश्रा बीजोपचार के लाभ के बारे में बताते हैं, “बीजोपचार से किसानों को ज्यादा उपज मिल जाती है, इससे फसल में रोग भी कम लगते हैं, लेकिन आज भी किसान अनुपचारित बीज ही बोते हैं, इसलिए उपचारित बीजों के लाभों का व्यापार प्रचार तथा प्रसार करना बहुत जरूरी होता है।” जीवाणु व सूत्रकृमि से बीज और पौधों को बचाने के लिए बीजों को कवकनाशी रसायन से उपचारित किया जाता है, जिससे बीज जमीन मे सुरक्षित रहते हैं, क्योंकि बीजोपचार रसायन बीज के चारो और रक्षक लेप के रूप में चढ़ जाता है और बीज की बुवाई ऐसे जीवों को दूर रखता है।

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अंकुरण में सुधार

बीजों को उचित कवकनाशी से उपचारित करने से उनकी सतह कवकों के आक्रमण से सुरक्षित रहती है, जिससे उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है। यदि बीज पर कवकों का प्रभाव बहुत अधिक होता है तो भंडारण के दौरान भी उपचारित सतह के कारण उनकी अंकुरण क्षमता बनी रहती है।

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बीजोपचार की विधियां

पानी में नमक का दो प्रतिशत का घोल तैयार करें, इसके लिए 20 ग्राम नमक को एक लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाएं। इनमें बुवाई के लिए काम मे आने वाले बीजों को डालकर हिलाएं। हल्के एवं रोगी बीज इस घोल में तैरने लगेंगे। इन्हें निथार कर अलग कर दें और पेंदे में बैठे बीजों को साफ पानी से धोकर सुखाले फिर फफूंदनाशक, कीटनाशक एवं जीवाणु कल्चर से उपचारित करके बोयें।

कीटों से सुरक्षा

भंडार में रखने से पहले बीज को कीटनाशी से उपचारित कर देने से वह भंडारण के दौरान सुरक्षित रहता है। कीटनाशी का चयन संबधित फसल बीज के प्रकार और भंडारण अवधि के आधार पर किया जाता है।

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रोगनाशक

ये रसायन बीजोपचार के बाद बीज को एक बार रोगाणुनाशक बना देते हैं। परन्तु बुवाई के बाद ये रसायन अधिक समय तक सक्रिय नहीं हर पाते हैं।

फफूंदनाशक उपचार

बीजों को फफूंदनाशक दवाओं से उपचारित करने के लिए इन्हें पाउडर या तरल अवस्था में उपयोग कर सकते हैं। इन रसायनों के रक्षणीयता के आधार पर इन्हें दो भागों में बांटा गया है।

मृदा कीटों का नियंत्रण

कीटनाशी और कीटनाशी का संयुक्त उपचार करने से बुवाई के बाद मृदा में बीज सुरक्षित रहता है और उसका विकास लगातार होता रहता है।

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रक्षक

इस प्रकार के रसायन बीज की सतह पर चिपक कर बुवाई के बाद पौध अवस्था में भी रोगों से रक्षा करते हैं। अधिकतर बीजोपचार वाले रसायन या तो कार्बनिक पारद पदार्थ होते है या अपारद पदार्थ जैसे सल्फेट, कापर कार्बोनेट आदि।

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