शाहजहांपुर की गीता बनना चाहती हैं पीटी ऊषा

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शाहजहांपुर की गीता बनना चाहती हैं पीटी ऊषागाँव में रहकर रेस में भाग लेना आसान नहीं होता है, लेकिन गीता अपने गाँव की पहली लड़की हैं, जो रेसर बनना चाहती हैं।

ऋषभ मिश्रा- कम्युनिटी जर्नलिस्ट

शाहजहांपुर। जब गाँव वालों की सुबह भी नहीं हुई होती है, तब तक इक्कीस वर्षीय गीता शर्मा पांच किमी. दौड़ लगा चुकी होती हैं। गाँव में रहकर रेस में भाग लेना आसान नहीं होता है, लेकिन गीता अपने गाँव की पहली लड़की हैं, जो रेसर बनना चाहती हैं।

शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी. दूर ददरौल ब्लॉक के गद्दीपुर गाँव की रहने वाली गीता जिला स्तर की कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं। गीता अपने गाँव की पहली ऐसी लड़की हैं जो खेल में रुचि रखती हैं। बीए की पढ़ाई कर रही गीता बताती हैं, ''मैं स्कूल में होने वाले हर स्पोर्ट्स में हिस्सा लेती हूं और मुझे कोई भी गाइड नहीं करता मैं खुद दौड़ने की प्रैक्टिस करती हूं। जिले स्तर पर होने वाली कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा में चुकी है। पीटी ऊषा की तरह बनना चाहती हूं।”

मैं रेसर बनकर अपने गाँव का नाम रोशन करना चाहती हूं। मेरे गाँव में कोई ऐसी लड़की नहीं जो खेल में कभी आगे नहीं आयी।
गीता, गद्दीपुर गाँव की निवासी (शाहजहांपुर)

गीता के पिता खेती करते हैं। घर चलाने में गीता अपने पिता के साथ खेती में भी मदद करती हैं। गीता की माता उनका हर कदम पर उत्साह बढ़ाती हैं, गीता बताती हैं, "मेरी मम्मी मेरा सबसे ज्यादा साथ देती हैं, घर में कई ऐसे लोग थें, जिन्होंने मेरे खेलने पर रोक लगाई थी कि लड़की है बिगड़ जाएगी, पर मेरे परिवार वाले किसी की बातों में नहीं आए।" गीता आगे बताती हैं, ''मैं अपने परिवार वालों की वजह से इसमें भाग ले पाई।”

आर्य महिला पीजी कॉलेज की प्रधानाचार्या कनक रानी बताती हैं,”कॉलेज में पढ़ने के साथ-साथ खेल में गीता उतनी ही आगे है। कॉलेज गीता को पूरी तरह से सपोर्ट करता है। हमारे कॉलेज में कई लड़कियां ग्रामीण क्षेत्रों से आती है उनमें से कुछ ही लड़कियां खेल में रुचि रखती है जो रखती है उनको सपोर्ट भी करते है ”

     

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