डॉक्टरों की कमी और अस्पताल दूर होने की वजह से पशुपालक खुद कर रहे अपने पशुओं का इलाज

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डॉक्टरों की कमी और अस्पताल दूर होने की वजह से पशुपालक खुद कर रहे अपने पशुओं का इलाजडॉक्टरों की कमी और अस्पताल दूर होने का दंश झेल रहे पशुपालक।

दिति बाजपेई, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। डॉक्टरों की कमी और पशु अस्पताल दूर होने के कारण ज्यादातर पशुपालक अपने पशुओं का घरेलू उपचार करते हैं लेकिन कभी-कभी यह घरेलू उपचार पशुपालकों को आर्थिक नुकसान भी पहुंचाता है।

प्रतापगढ़ जिले के ब्लॉक के भिखनापुर गाँव की विमला देवी (45 वर्ष) के पास पांच बकरियां हैं। जब भी उन्हें कोई बीमारी होती है, खुद ही घरेलू उपचार कर लेती हैं। विमला देवी कहती हैं, ‘डॉक्टर को दिखाने के लिए 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। फोन करने पर वे आते नहीं है। इस वजह से कई वर्षों से जो घरेलू इलाज चले आ रहे हैं उन्हीं को अपना लेते है। कई बार इससे फायदा न होने पर बकरियां बचती नहीं हैं।’

विमला देवी ही नहीं ऐसे कई पशुपालक हैं, जिनको इस समस्या का सामना करना पड़ता है। कानपुर देहात के मैथा ब्लॉक के बैरी दरियाव में रहने वाले कल्लू कुशवाहा (36 वर्ष) बताते हैं, ‘पिछले साल सर्दी में हमारी भैंस बीमार हो गयी थी, घर में ही दो तीन दिन तक जूट के बोरा जलाकर उसका इलाज करते रहे लेकिन कुछ दिन बाद वह मर गई।’

सभी पशुचिकित्सालयों में डॉक्टर समय पर रहते हैं। यहां कुछ दिक्कतें आ रही हैं। इसके लिए हाल ही में सरकार द्वारा बहुउद्देश्यीय सचल पशुचिकित्सा सेवा की शुरुआत की गई है। यह वैन हर ब्लॉक में दी जाएगी। इससे पशुपालकों को काफी सुविधा मिलेगी।
बीबीएस यादव, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पशुधन विकास परिषद, (लखनऊ)

गाँवों में पशु चिकित्सालयों में सुविधाओं की कमी और डॉक्टरों की अनुपस्थिति के चलते पशुओं को इलाज नहीं मिल पाता। यदि सरकारी पशुओं के डॉक्टर को घर बुलाकर इलाज करवाओ तो पेट्रोल, महंगी दवाई, इंजेक्शन इन सबका इतना लंबा-चौड़ा खर्च ये डॉक्टर तैयार कर देते हैं कि एक छोटे पशुपालक के लिए इसे झेलना मुश्किल हो जाता है।

ऐसे में पशुपालकों को घरेलू इलाज पर ही निर्भर रहना पड़ता है। उत्तर प्रदेश में कुल 2,200 पशुचिकित्सा केंद्र हैं। राष्टीय कृषि आयोग के अनुसार देश में 5000 पशुओं पर एक पशुचिकित्सालय स्थापित होना चाहिए लेकिन उत्तर प्रदेश में 21 हज़ार पशुओं पर एक भी पशु चिकित्सालय उपलब्ध है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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