ट्रेनिंग लेकर रेशम कीट पालन कर रहे ग्रामीण, महिलाएं निभा रहीें बड़ी भागीदारी
दिति बाजपेई 27 March 2017 6:44 PM GMT

बरेली। गाँव में महिलाएं घर बैठे रेशम कीट का पालन कर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार हुआ है।
बरेली जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी दूर भोजीपुरा ब्लॉक की धनदेवी उत्तर प्रदेश रेशम विभाग फॉर्म में रेशम कीट पालन करके उससे धागा बनाने का काम करती हैं। धनदेवी कुमारी (33 वर्ष) बताती हैं, “फॉर्म में ही हमको रेशम कीट पालन करने का प्रशिक्षण मिला था तब से हम इस सरकारी फॉर्म में हम काम कर रहे हैं।”
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उत्तर प्रदेश रेशम विभाग फॉर्म में धनदेवी के साथ कई महिलाएं और पुरुष जुड़े हुए हैं, जो धागा बनाने का काम करते हैं। फार्म में जिले के आस पास के पांच गाँव के 70 किसान इस फॉर्म में काम करते है।
परदौली गाँव की मालती देवी (38 वर्ष) लगभग छह-सात वर्षों से रेशम कीट पालन कर रही हैं। मालती देवी बताती हैं, “इन कीटों को पालने में ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है और इससे अच्छा मुनाफा भी होता है। मेरे साथ साथ गाँव की कई महिलाएं है जो घर के कामों के साथ साथ रूपए कमा लेती हैं।”
इस फॉर्म में तीन भारतीय प्रजाति (मल्टीबाईबोल्टेज, ऐफोन, ए1) के कीट का पालन किया जा रहा है। यह कीट आम कीट से जल्दी तैयार हो जाते हैं।
कीटों को खिलने के लिए फॉर्म के 20 एकड़ में हज़ारों शहतुत के पेड़ लगे हुए हैं। किसान इनको समय समय पर तोड़ कर ले जाते है और जब 29 दिन के बाद कीट धागा बनाने योग्य हो जाता है तो वह उसे फॉर्म में ले आते हैं।राजेंद्र प्रसाद, बाबू, उत्तर प्रदेश रेशम विभाग फॉर्म, बरेली
फॉर्म में किसानों की देख़-रेख के लिए तैनात बाबू राजेंद्र प्रसाद (45 वर्ष) बताते हैं, “कई किसान हैं जिनको कीट घर के लिए ही दे दिए जाते हैं, ताकि वह घर में रहकर अन्य कामों के साथ उसको कर सकें।फॉर्म में हैचरी के साथ-साथ धागा बनाने की मशीन भी उपलब्ध है। कीट को तैयार करके फॉर्म में धागा भी बनाया जाता है। कीट से बने धागों और कीटो को पश्चिम बंगाल में भेजा जाता है।"
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