लखनऊ की सड़कों पर घूमती छुट्टा गायों से कब मिलेगी लोगों को निजात
Diti Bajpai 26 March 2017 3:42 PM GMT

लखनऊ। नयी सरकार के आते ही अवैध बूचड़खाने बंद हो गए हैं, लेकिन प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या छुट्टा जानवर इस पर अभी तक सरकार का ध्यान ही नहीं गया। लोगों का कहना है बूचड़खानों पर पाबंदी ठीक है लेकिन इस समस्या की तरफ भी सरकार को तुरंत ध्यान देना चाहिए।
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राजधानी की सड़कों पर आवारा जानवरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मुश्किल यह भी है कि जिन गौशालाओं में आवारा पशुओं को रखा जाता है, वहां पशुओं की इतनी संख्या हो गई है कि अब और जगह ही नहीं बची है। छुट्टा जानवर यानी वो पशु जिनके मालिक दूध निकालने के बाद चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं, लेकिन बाहर चारे का इंतजाम न होने पर वो किसानों के खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या गायों की है, उसके बाद सांड और बछड़े हैं।
अमीनाबाद से श्रीकान्त पांडेय (25 वर्ष) बताते हैं, “सब्जी सड़कों पर पड़ी रहती है। ऐसे में झुंड में गाय यहीं खड़ी रहती हैं। गायों का झुंड लोगों को इस तरह परेशान कर देता है कि उनकी वजह से सड़कों पर जाम भी लग जाता है।” यह समस्या लखनऊ के अमीनाबाद की ही नहीं है, बल्कि कई जगहों पर है। लखनऊ की पॉश कॉलोनी में भी ये नजारा देखने को मिल जाएगा। नगर निगम के अरविंद राव पशु चिकित्साधिकारी बताते हैं, ‘’शहर में जो छुट्टे जानवर घूम रहे हैं, उनके लिए नगर निगम काम कर रहा है। आगे जब भी ये गोशालाएं भर जायेंगी और गोशालाएं खुलवा दी जाएंगी, जिससे लोगों को दिक्कत न हो।’’
इनमें सबसे ज्यादा छुट्टा
लखनऊ में सात कांजी हाउस हैं, जिनमें से दो में काम चल रहा है। इन कांजी हाउस में 150 से अधिक पशु बंद हैं। नगर निगम द्वारा इसके लिए अभियान भी चलाया गया था। इस अभियान के तहत वर्ष 2016 में दो लाख रुपए से ज्यादा जुर्माना किया जा चुका हैं। प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में यह समस्या सबसे ज्यादा है। 19 वीं पशुगणना के मुताबिक 2012 में आई रिपोर्ट के अनुसार, बुंदेलखंड में 23 लाख 50 हजार गोवंश हैं, जिनमें से ज्यादातर छुट्टा है।
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