नहीं बना पीपे वाला पुल अटकी किसानों की बुवाई

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नहीं बना पीपे वाला पुल अटकी किसानों की बुवाईसैकड़ों बीघा जमीन नदी उस पार होने की वजह से किसान परेशान।

रवीश कुमार वर्मा, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

फैज़ाबाद। जनपद के रुदौली तहसील क्षेत्र के किसानों की सैकड़ों बीघा जमीन नदी उस पार है। कई वर्षों से इस पार से उस पार आवागमन के लिए घाघरा नदी पर पीपे का पुल बनाया जाता रहा है। पीपे वाले पुल बनने से किसान आसानी से उस पार जाकर बुवाई कर लेते थे और गोण्डा जाने भी उन्हें आसानी होती थी। पर इस बार घाघरा नदी पर बनने वाला पुल नहीं बन पाया है, जिससे वजह से किसानों की परेशानी हो रही है।

जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर पर रुदौली तहसील में फैजाबाद व गोण्डा के बीच दूरी कम करने के लिए महंगू पुरवा कैथी घाट पर पीपे वाला पुल बनाया गया। क्षेत्रीय लोगों की सुविधा के लिए यह पुल शुरुआती जाड़े के महीने में बनाया जाता है और नदी में पानी कम होने से पहले पीपा खोल दिया जाता है।

जनवरी का महीना बीतने वाला है और अभी तक पीपा पुल नहीं बनाया गया। इस पुल के न बनने से नदी के उस पार जिन दर्जनों किसान की भूमि है, वह अपने खेतों में फसलों की बुवाई नहीं कर सके। महंगू पुरवा के गंगाराम (45 वर्ष) कहते हैं, “यदि पुल समय से बन जाता तो 70 बीघा जमीन पर जोताई-बुवाई कर सकते थे। पुल न बनने से सारे खेत में बुवाई नहीं कर सके। रामनारायण (38 वर्ष) का कहना है कि हमारा नदी उस पार 25 बीघा खेत है, लेकिन पुल न बनने से इस बार फसल की बुवाई नहीं की जा सकी।”

यह पुल बाढ़ का पानी उतरने के बाद बनाये जाते और फिर पानी का बहाव शुरू होने से पहले हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। हटाने का काम तो समय से हो जाता है। पीपे वाला पुल के बन जाने के बाद इस पार के किसान आसानी से उस पर जाकर अपने खेतों की बुवाई कर लेते हैं और कटाई भी। बीच के समय में खेतों की देखभाल भी कर लेते हैं। इसके अलावा दुग्ध व्यवसाय व शादी-विवाह में भी यह लोग इसी पुल का प्रयोग करते हैं, लेकिन विगत कई वर्षों से यह बेहाल है।

पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाए जाने वाला यह पुल विभाग की ढीली-ढाली व्यवस्था का ही परिणाम है, लेकिन काश्तकार यहां पर सीधे-सीधे असुविधा होने पर क्षेत्रीय विधायक और जिलाधिकारी पर ही इल्जाम लगाते हैं। किसान राजकुमार का आरोप है कि ठेकेदार ने बताया कि आचारसंहिता लग जाने के कारण अब इस वर्ष पुल का निर्माण नहीं हो सकता, जिससे ग्रामीण काफी आक्रोशित हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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