2016 में ‘गंध’ से मुक्त नहीं हो पाई सुगंध नगरी
गाँव कनेक्शन 11 Jan 2017 8:07 PM GMT

अजय मिश्र (स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क)
कन्नौज। करीब 13 महीने जिले में शुरू किए गए खुले में शौच मुक्त अभियान का असर तो हुआ, लेकिन निर्धारित वक्त बीत जाने के बाद भी जिला लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सका। अब मार्च में मिशन को पूरा करने की बात कही गई है, लेकिन विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लगने के बाद मार्च तक भी लक्ष्य पूरा होना मुमकिन नहीं लगता है।
504 ग्राम पंचायतों वाले इस जिले को अफसरों ने दिसम्बर 2016 तक ओडीएफ करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। समय बीतने के बाद भी खुले में शौच से मुक्त गाँवों की संख्या शासन की नजर में 60 के करीब है, जबकि जिम्मेदार महकमा करीब 200 ग्राम पंचायतों के खुले में शौच मुक्त होने का दावा कर रहा था। हालांकि ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव आदि मिलाकर यह संख्या 160 के करीब पहुंच रही है। एक साल से अधिक का समय बीत गया है।
अब जिला प्रशासन ने इत्रनगरी वाले जिले को मार्च 2017 का लक्ष्य खुले में शौच से मुक्त का रखा है। हालांकि यह भी मुमकिन अब इसलिए नहीं दिख रहा है क्योंकि विधानसभा चुनाव के लिए चार जनवरी से सूबे में आचार संहिता प्रभावी हो चुकी है। इसमें नए काम नहीं हो सकते हैं। नए लाभार्थी को प्रोत्साहन धनराशि नहीं मिल सकेगी, जो एक शौचालय निर्माण पूरा होने पर 12 हजार मिलती है। पहली किस्त में छह हजार दिया जाता है।
यह है शौचालय निर्माण का लक्ष्य
उमर्दा - 42,085
छिबरामऊ- 33,315
कन्नौज- 22,813
सौरिख-23,802
हसेरन-18,771
जलालाबाद-12,424
तालग्राम-21,117
गुगरापुर-8,353
ऐसे खुले में शौच मुक्त घोषित किया जाता है गाँव
ग्राम पंचायत में रहने वाले सभी व्यक्ति खुले में शौच जाना बंद कर दें और अधिक से अधिक लोग अपने घर में शौचालय बनवा लें। इसके बाद ग्राम सभा प्रस्ताव करती है कि उनका गांव ओडीएफ हो गया है। इसके बाद जिला स्तरीय समेत स्थानीय अधिकारी सत्यापन करते हैं कि यह गाँव वास्तव में शुले में शौच मुक्त हो चुका है। अगर कमियां मिलती हैं तो उनको दूर करने का समय दिया जाता है। कमियां दूर होने के बाद ग्राम पंचायत ओडीएफ यानी खुले में शौचमुक्त घोषित कर दिया जाता है। बाद में शासन भी अपनी मुहर लगाता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
61 ग्राम पंचायत शासन स्तर से खुले में शौच से मुक्त हो चुकी हैं। प्रदेश में हम चौथे नंबर पर चल रहे हैं। जिलास्तर पर करीब 160 ग्राम पंचायतें ओडीएफ हुई हैं, जिनका जिलास्तर पर सत्यापन चल रहा है। चुनाव की वजह से निर्माण कार्य प्रभावित नहीं होगा। तीन जनवरी तक करीब 6,666 लाभार्थियों को भुगतान खाते में भेज दिया गया था, जो दो लाभार्थियों के हिसाब से जोड़ा जाएगा। दूसरी किस्त लाभार्थी के कार्य पूरा करने और स्वीकृत पत्र दिखाने पर मिलेगी।”अनिल कुमार, जिला कन्सलटेन्ट, एसबीएम ग्रामीण, कन्नौज।
जिन लाभार्थियों को प्रथम किस्त या स्वीकृत किस्त मिल गई है, उनका निर्माण कार्य चलता रहेगा। नए लाभार्थियों को लाभ नहीं मिलेगा। जो ग्रामीण अपने खर्चे पर शौचालय बनवाएंगे, वह आचार संहिता के दायरे में नहीं आएगा।डॉ. अशोक चंद्र, डीएम, कन्नौज।
यह आंकड़े भी जानें
जिले के सभी ब्लॉकों में 1,82,680 शौचालय बनाने का लक्ष्य है। संशोधित लक्ष्य 1,37,483 कर दिया गया है। कुल ग्राम पंचायतें 504 हैं। एक अप्रैल, 2016 से नौ जनवरी 17 तक क्रमिक प्रगति 64,005 शौचालयों की हो चुकी है। अब तक प्रतिशत 46.55 बताया जा रहा है।
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