ठंड में जानवरों का ऐसे रखें खास ख्याल

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ठंड में जानवरों का ऐसे रखें खास ख्यालठंड के मौसम में पशुपालकों को पशुओं के आवास प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें। पशुशाला के दरवाजे व खिड़कियों पर बोरे लगाकर सुरक्षित करें। फोटो: महेंद्र पांडेय

हर्षित कुशवाहा, कक्षा- 12, उम्र- 16

कालेज- बाबा बालक राम इंटर कालेज, रामपुर मथुरा, सीतापुर

रामपुर मथुरा (सीतापुर)। प्रदेश में इस समय कड़ाके के ठंड पड़ रही है, अपने साथ ही अपने पालतू पशुओं के पास का भी खयाल रखना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे ज्यादा पशुओं की मौत ठंड लगने से होती है। ऐसे में इनका भी ख्याल रखना चाहिए।

ठंड के मौसम में पशुओं को कभी भी ठंडा चारा व दाना नहीं देना चाहिए, क्योंकि इससे पशुओं को ठंड लग जाती है। पशुओं को ठंड से बचाव के लिए पशुओं को हरा चारा व मुख्य चारा एक से तीन के अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए।

ठंड के मौसम में पशुपालकों को पशुओं के आवास प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें। पशुशाला के दरवाजे व खिड़कियों पर बोरे लगाकर सुरक्षित करें। जहां पशु विश्राम करते हैं वहां पुआल, भूसा, पेड़ों की पत्तियां बिछाना जरूरी है। ठंड में ठंडी हवा से बचाव के लिए पशु शाला के खिड़कियों, दरवाजे तथा अन्य खुली जगहों पर बोरी टांग दें। सर्दी के मौसम में पशुओं को संतुलित आहार देना चाहिए। सर्दी में पशुओं को सुबह नौ बजे से पहले और शाम को पांच बजे के बाद पशुशाला से बाहर न निकालें।

ठण्ड से होने वाले रोग व उपचार:

अफारा: ठंड के मौसम में पशुपालन करते समय पशुओं को जरूरत से ज्यादा दलहनी हरा चारा जैसे बरसीम व अधिक मात्रा में अन्न व आटा, बचा हुआ बासी भोजन खिलाने के कारण यह रोग होता है। इसमें जानवर के पेट में गैस बन जाती है। बायीं कोख फूल जाती है। सर्दियों में पशुओं को चारे के साथ गुड़ देना, जो बहुत अधिक लाभदायक होता है।

निमोनिया: दूषित वातावरण व बंद कमरे में पशुओं को रखने के कारण और संक्रमण से यह रोग होता है। रोग ग्रसित पशुओं की आंख व नाक से पानी गिरने लगता है।

ठण्ड लगना: इससे प्रभावित पशु को नाक व आंख से पानी आना, भूख कम लगना, शरीर के रोएं खड़े हो जाना आदि लक्षण आते हैं। उपचार के लिए एक बाल्टी खौलते पानी के ऊपर सूखी घास रख दें। रोगी पशु के चेहरे को बोरे या मोटे चादर से ऐसे ढ़के कि नाक में भाप दें।

शीतऋतु में मुर्गियों को श्वास संबंधी बीमारी से बचाने के लिए सिप्रोकोलेन दवा मुर्गियों को पानी में मिलाकर सात से दस दिन तक देना चाहिए। दुधारू गायों से अधिक दूध लेने के लिए बछड़े एवं बाछियों की अच्छी बढ़ोत्तरी के लिए उन्हें साफ-सुथरी एवं सुखी जगह पर रखना जरूरी है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation www.ipsmf.org).

     

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